- आईआईटी काउंसिल की बैठक में कहा ‘कोचिंग सिस्टम गलत नहीं
- सर्वे में भी साबित हो चुकी है कोचिंग सिस्टम की जरूरत
कोटा। आईआईटी प्रवेश परीक्षाओं के लिए हो रही कोचिंग विद्यार्थियों को अकेडमिक रूप से मजबूत बना रही है। उन्हें गहराई से पढ़ाई करने के लिए प्रेरित कर रही है। यह सिस्टम गलत नहीं है। पिछले दिनों मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में हुई आईआईटी काउंसिल की बैठक में चर्चा के दौरान आईआईटी डायरेक्टर्स ने कुछ इस तरह अपनी बात रखी।
बैठक में जब जेईई-एडवांस्ड को रिव्यू करने, सिस्टम को ज्यादा वैज्ञानिक बनाने तथा कोचिंग संस्थाओं पर निर्भरता कम करने के प्रयास के सवाल पर आईआईटी डायरेक्टर्स ने कोचिंग सिस्टम को आज की जरूरत बताया। यही नहीं जेईई-एडवांस्ड में बदलाव के प्रस्ताव को भी आईआईटी के डायरेक्टर्स ने नकार दिया।
तीन बड़े व पुरानी आईआईटी के डायरेक्टर्स ने कहा कि कोचिंग करवाने में कुछ गलत नहीं है। यहां स्टूडेंट्स को बेहतर पढ़ाई के जरिए प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया जा रहा है। डायरेक्टर्स ने कहा कि कोचिंग सेंटर्स पर सवाल उठाने का कोई तर्क हमारे पास नहीं है।
अब समय बदल चुका है। 80 व 90 के दशक में जो स्टूडेंट्स पढ़ाई में बहुत अच्छे होते थे, वे बिना कोचिंग के आईआईटी में प्रवेश सुनिश्चित कर लेते थे, लेकिन अब कॅम्पीटिशन का स्तर उच्च हो चुका है। विद्यार्थी कोचिंग के माध्यम से प्रतिभा निखार रहे हैं।
आईआईटी में ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है। चर्चा में यह बात भी सामने आई कि पहले भी कोचिंग की जरूरत और भूमिका को साबित करने के लिए कई अध्ययन हो चुके हैं लेकिन कोचिंग की जरूरत हर बार सामने आई।
उल्लेखनीय है कि इस संबंध में हाल ही में इकॉनोमिक्स टाइम्स में रिपोर्ट प्रकाशित की गई। इससे पूर्व भी आईआईटी कानपुर के स्टूडेंट्स द्वारा वॉक्स पॉपुली मैग्जीन के लिए की गई स्टडी में कोचिंग फेकल्टीज को आईआईटी से भी बेहतर बताया गया था। इसी तरह दिल्ली आईआईटी द्वारा किए गए फ्रेशर्स सर्वे में भी ग्रामीण व छोटे कस्बों से आने वाले विद्यार्थियों के बढ़ते प्रतिशत और कोचिंग के महत्व को बताया जा चुका है।
कोटा का बड़ा योगदान
सर्वे और विभिन्न स्टडीज में कोचिंग सिस्टम को आज की जरूरत बताया गया। यही नहीं विशेष रूप से कोटा की कोचिंग को श्रेष्ठ बताया गया है, क्योंकि यहां इंजीनियरिंग व मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के लिए कोचिंग हो रही है। कोटा में कोचिंग करने वाले स्टूडेंट्स के बेहतर परिणाम भी आ रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए आईआईटी व मेडिकल कॉलेज तथा एम्स की राह आसान हुई है। यहां निर्धन व प्रतिभावान विद्यार्थियों को आगे लाने के लिए स्कॉलरशिप दी जाती है, जिससे उनके प्रवेश सुनिश्चित हो रहे हैं।
यही नहीं आईआईटी काउंसिल द्वारा जारी रिपोर्ट्स में भी देश की आईआईटीज में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों में ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के बढ़ते प्रतिशत को दिखाया गया है। ग्रामीण विद्यार्थी 26 प्रतिशत तक हो चुके हैं। आईआईटी 2016 की रिपोर्ट के अनुसार 28 प्रतिशत से अधिक ऐसे विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया जिनके परिवार की वार्षिक आय दो लाख से कम है।
649 में से 591 कोचिंग से जुड़े
दिल्ली आईआईटी स्टूडेंट्स द्वारा 2018 के फ्रेशर्स स्टूडेंट्स पर सर्वे किया गया। 649 स्टूडेंट्स पर किए सर्वे में 566 छात्र व 83 छात्राएं शामिल थीं। इसमें से मात्र 21 स्टूडेंट्स ऐसे थे, जिनका कहना था कि वे किसी कोचिंग से नहीं जुड़े थे। 591 सीधे कोचिंग से जुड़े थे।
17 प्राइवेट ट्यूशन पर निर्भर थे तथा 10 ने दूरस्थ शिक्षा के जरिए कोचिंग की। 60 प्रतिशत स्टूडेंट्स ऐसे थे जन्होंने एक साल ड्रॉप करके तैयारी की। 80 प्रतिशत विद्यार्थी छोटे गांव व कस्बों जबकि 10 प्रतिशत स्टूडेंट्स मेट्रो सिटीज से थे।
आईआईटी से बेहतर फेकल्टी
आईआईटी कानपुर के स्टूडेंट्स की विंग द्वारा निकाली जाने वाली मैग्जीन वॉक्स पॉपुली के लिए की गई स्टडी में सामने आया कि स्टूडेंट्स परम्परागत स्कूली शिक्षा को पीछे छोड़ते हुए कोचिंग सिस्टम से जुड़ रहे हैं। इस सर्वे में 75 प्रतिशत विद्यार्थियों ने यह भी माना कि कोचिंग फैकल्टीज आईआईटी कानपुर से भी अच्छा पढ़ाती हैं।
आईआईटी में प्रवेश पाने के लिए कोचिंग के साथ मिलकर मेहनत कर रहे हैं। सर्वे में सामने आया कि 66.4 प्रतिशत विद्यार्थी 11वीं में आने के बाद कोचिंग से जुड़ते हैं। 93.5 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कोचिंग इंस्टीट्यूट की पढ़ाई को स्कूल की पढ़ाई से बेहतर बताया है। यही नहीं 57 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कोटा की कोचिंग को बेहतर बताया और कहा कि कोटा में कोचिंग की जानी चाहिए।
शिक्षा का माध्यम है कोचिंग
कोचिंग एक माध्यम है जो श्रेष्ठ शिक्षा की कमी को पूरा कर रहा है। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के स्तर की पढ़ाई चाहिए जो कोटा के कोचिंग संस्थान दे रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाओं को आगे लाने की बात हो या निर्धन परिवारों की प्रतिभाओं को स्कॉलरशिप देने की एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट विद्यार्थियों की हर मदद कर रहा है। यही कारण है कि आज परिवेश बदल रहा है, गांव के विद्यार्थियों के सपने पूरे हो रहे हैं। – राजेश माहेश्वरी, निदेशक, एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट