लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने की एइडी स्थापना की शुरुआत, टीम हार्टवाइज ने किया जीवन रक्षकों का सम्मान
कोटा। स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में कार्यरत हार्टवाइज सोसायटी ने मंगलवार को कोटा शहर को एक कदम और आगे बढ़ा दिया। अब तक सोसायटी द्वारा स्वास्थ्य जागरूकता व जीवन रक्षण के लिए वॉक-ओ-रन, सेव ए हार्ट प्रोग्राम के तहत सीपीआर सेशन, ओपन जिम की स्थापना, हार्ट अटैक जीवन रक्षक किट वितरण जैसी पहल की गई।
अब कोटा में रोड साइड पर हार्ट अटैक के मामलों में जीवन बचाने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (एईडी) लगाए जाएंगे। कोटा देश का ऐसा पहला शहर होगा जहां रोड साइड पर हार्टअटैक की स्थिति में जीवन बचाने के लिए आमजन ही एईडी से सीपीआर देकर मरीज का जीवन बचा सकेंगे।
यह घोषणा मंगलवार को पुरुषार्थ भवन में हार्टवाइज सोसायटी के सेव ए हार्ट कार्यक्रम के तहत आयोजित 100वें सीपीआर सेशन में की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सार्वजनिक स्थानों पर लगने वाली एईडी मशीनों का लोकार्पण किया। देश में पहली बार कोटा में सार्वजनिक स्थानों पर आमजन के उपयोग के लिए 5 एईडी स्थापित किए जाएंगे। कार्यक्रम में कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा, जिला कलक्टर पीयूष समारिया, सिटी एसपी तेजस्वनी गौतम भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कोटा जिस क्षेत्र में कार्य करता है, उसमें श्रेष्ठता साबित करता है। स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में टीम हार्टवाइज के प्रयास सदैव सराहनीय हैं। यही कारण है कि यहां के लोग सीपीआर को लेकर ज्यादा जागरूक हैं और इसका उदाहरण कई बार सीपीआर देकर जान बचाने की सूचना से मिलता है।
हृदयाघात के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य जागरूकता जरूरत बन गई है। कोटा में सार्वजनिक स्थानों पर एईडी की स्थापना एक सकारात्मक पहल है। इससे कोटा स्वास्थ्य जागरूकता और जीवन रक्षा के क्षेत्र में देश के सामने उदाहरण बनेगा।
हार्टवाइज सोसायटी के संयोजक डॉ.साकेत गोयल ने कहा कि हृदयाघात के मामले बढ़ गए हैं। प्रारंभिक उपचार के अभाव में लोगों की मौतें हो रही है। ऐसे में सोसायटी का उद्देश्य हार्टअटैक से होने वाली मृत्युदर को कम करना है। इसके लिए समाज के साथ मिलकर “चेन ऑफ सर्वाइवल” को मजबूत बनाना है। वे चाहते हैं एम्बुलेंस के पहुंचने से पहले आम नागरिक द्वारा किया गया त्वरित हस्तक्षेप एक व्यक्ति का अनमोल जीवन बचाए।
सड़क किनारे सीपीआर और एइडी की मदद से लोगों का जीवन बचाने के लिए टीम हार्टवाइज शहर में पांच स्थानों पर एइडी लगाएगी। इसका उपयोग कैसे करना है, इसके लिए सीपीआर सेशन में जागरूक भी किया जाएगा।
हार्टवाइज के सेव ए हार्ट प्रोग्राम के तहत अब तक 100 सीपीआर सेशन में 20 हजार शहरवासियों को सीपीआर का प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिसमें स्कूल स्टूडेंट्स, सोशल वर्कर्स, पुलिस, फैकल्टीज, विभिन्न समाज संस्थाएं और जेल स्टाफ व कैदी भी शामिल हैं।
इस अवसर पर टीम हार्टवाइज के डॉ.सुरभि गोयल, कमलदीप सिंह, तरुमित बेदी, अजय मित्तल, कपिल जैन, सुमित अग्रवाल, विनेश गुप्ता, निखिल जैन, अनीश बिरला, राहुल सेठी, दीपक मेहता, आशीष अरोड़ा, उमेश गोयल, हिमांशु अरोड़ा, रजत अजमेरा, प्रमोद मेवाड़ा सहित अन्य मौजूद रहे। मंच संचालन कपिल जैन, डॉ.सुरभि गोयल व हिमांशु अरोड़ा ने किया। तरुमित बेदी ने धन्यवाद दिया।
जीवन रक्षकों का सम्मान
इस अवसर पर सीपीआर के माध्यम से सार्वजनिक स्थानों पर सीपीआर देकर आमजन की जान बचाने वाले जीवन रक्षकों व सीपीआर ट्रेनर्स का सम्मान भी किया गया। इसमें हिमांशु अरोड़ा, गुरप्रीत कौर, डॉ.अशोक शर्मा, कैलाश के.गजराज, वरूण जैन, विष्णु श्रृंगी, गोविंद शर्मा, विक्रम महावर और विकास पाटौदी शामिल हैं। इन लोगों ने हार्टवाइज या अन्य स्थानों से सीपीआर की ट्रेनिंग लेकर जीवन में समझ और धैर्य का परिचय दिया और सीपीआर के माध्यम से जीवन बचाया। इसके साथ ही सौम्य गोयल को हार्टवाइज की ओर से सबसे युवा सीपीआर ट्रेनर का अवार्ड दिया गया। सौम्य ने 17 वर्ष की आयु में सरकारी स्कूल्स में सीपीआर की ट्रेनिंग दी।
ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर
ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल डिवाइस हैं जो जानलेवा कार्डियक एक्टिविटी जैसे अनियमित दिल की धड़कन और पल्स न होना का पता लगाते हैं। यह डिफिब्रिलेशन या बिजली के झटके से दिल को फिर से चालू कर सकता है ताकि दिल की धड़कन सामान्य हो जाए। मेडिकल प्रोफेशनल की गैरमौजूदगी में इस उपकरण का इस्तेमाल कोई भी सामान्य व्यक्ति कर सकता है, क्योंकि इसमें आसान ऑडियो और विज़ुअल कमांड होते हैं। अनुमान है कि कार्डियक अरेस्ट के 4 से 6 मिनट के अंदर जान बचाने वाले डिफिब्रिलेशन न देने की वजह से 95 प्रतिशत अचानक कार्डियक मौतों होती हैं। कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित व्यक्ति को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) और एइडी समय पर देने के अलावा, जान बचाने का कोई और तरीका नहीं है।

