संकल्प पत्र, गारंटी योजना में पर्यावरण के मुद्दों की उपेक्षा पर चंबल संसद ने जताई चिंता

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चंबल संसद जारी करेगी ग्रीन चार्टर

कोटा। पर्यावरण संस्थाओं के संयुक्त मंच चंबल संसद ने विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के गारंटी पत्र एवं संकल्प पत्र आदि घोषणा पत्रों पर पर्यावरणीय विषयों की उपेक्षा को लेकर गहरी चिंता जाहिर करते हुए ग्रीन चार्ट जारी करने का निर्णय किया है।

ओम कोठारी प्रबंध संस्थान के सभागार में आयोजित चंबल संसद की दीपावली स्नेह मिलन बैठक में जल वायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभाव, विकास प्राधिकरणों के बहाने अनियंत्रित शहरीकरण को बढ़ावा देने तथा ग्राम स्वराज की अवधारणा के विपरीत खेती किसानी और गांवों को खत्म करने की नीति के खिलाफ जन चेतना जगाई जाएगी।

चंबल शुद्धिकरण की घोर उपेक्षा करने पर एवं वन भूमि पर अतिक्रमण एवं अवैध खनन , प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन को लेकर पर्यावरण प्रेमियों ने ग्रीन चार्टर बनाने की तैयारी की है जो आगामी सरकार के गठन होने से पूर्व चुने गए प्रतिनिधियों को दिया जाएगा।

चंबल संसद के अध्यक्ष के बी नंदवाना, संयोजक बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि विकास योजनाओं के नाम पर लाखों पेड़ों को बलि चढ़ाया जा रहा है, वन भूमि ,चारागाह भूमि और खेती की जमीन को योजना बंद तरीके से नष्ट किया जा रहा है। जिससे जलवायु परिवर्तन के खतरे, बढ़ते हुए तापमान एवं वायु प्रदूषण के रूप में सामने आ रहे हैं।

बेरोजगारी मिटाने के तमाम दावों के बावजूद जिस प्रकार की नीतियों पर काम किया जा रहा है, उसे भविष्य में बेरोजगारी और महंगाई और अधिक बढ़ने की संभावना है। स्वच्छता के आधुनिक मानदंडों और वैज्ञानिक माडल एसएलआरएम योजना को लागू करने की इच्छा शक्ति किसी भी दल के घोषणा पत्र में शामिल नहीं है।

विजन -2030 में दिए गए पर्यावरणीय सुझावों की घोर उपेक्षा की गई है। लगता है सरकार ने उन्हें रद्दी की टोकरी में डाल दिया। राष्ट्रीय जल बिरादरी की चम्बल संसद, केईएसएस ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की है कि लोक लुभावना वादों और गारंटियों मैं पर्यावरण संरक्षण को कोई अहमियत नहीं दी गई है। संसद ने कहा है कि इलेक्ट्रिक एवं बैटरी चालित वाहनों को प्रोत्साहन दिया जाए, इसे घोषणा पत्रों में शामिल किया जाना चाहिए।

चंबल संसद में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर आरसी साहनी, समाजसेवी जीडी पटेल, किसान नेता दशरथ कुमार, वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र राहुल, पुरुषोत्तम पंचोली, विश्व जन आयोग बाढ़ सुखाड़ के सदस्य यज्ञदत्त हाडा, जल बिरादरी के राजेंद्र जैन, स्मृति वन सलाहकार समिति की गीता दादी, राजेंद्र जैन, हरक चंद्र जैन, सर्प विशेषज्ञ डा.विनीत महोबिया शिक्षाविद डॉक्टर अमित सिंह राठौड़, वास्तुविद गौरव चौरसिया, ज्योति सक्सेना, पूनम मेहता, पूर्व वन अधिकारी बिंम्बाधर शर्मा आदि गणमान्य नागरिकों ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर बनाई जा रहे ग्रीन चार्टर के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

पर्यावरणविद् बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि हाडोती में सड़कों के विस्तार और अन्य विकास योजनाओं में बड़ी संख्या में लाखों पेड़ों की बलि ली गई है। पेड़ों को काटकर नकली ऑक्सीजोन बनाने का भ्रम फैलाया गया है। बहु आयामी एवं पर्यटन विकास के दावों के बीच रिवर फ्रंट अभी भी सीवर फ्रंट ही बना हुआ है। चंबल नदी को मेला ढोने वाली मालगाड़ी के रूप में ही इस्तेमाल किया जा रहा है। चंबल में अभी भी सैकड़ो नाले कोटा की सीमा में गिर रहे हैं। ट्रीटमेंट प्लांट सफेद हाथी साबित हो रहे हैं।

संसद ने स्मृति वन, लवकुश वाटिका, मुकुंदरा टाइगर रिजर्व, रामगढ़ विषधारी टाईगर रिजर्व पर संतोष व्यक्त किया। कोटा एनवायरमेंटल सैनिटेशन सोसायटी, बाघ -चीता मित्र ने मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के प्रबंधन में स्थानीय लोगों को महत्व दिए जाने की भी मांग दोहराई है। इस अवसर पर यज्ञदत्त हाडा ने अधिक से अधिक मतदान में भाग लेने का संकल्प कराया।