गेहूं की धीमी बुआई ने चिंता बढ़ाई, धान का रकबा घटा

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अल नीनो का प्रभाव जून 2024 तक

नई दिल्ली। भारत में रबी फसल का रकबा आम तौर पर बढ़ा है, जो उत्साहजनक है। देश में तिलहन और अन्य फसलों, विशेष रूप से चना, मसूर और मटर में भी वृद्धि देखी गई है, लेकिन गेहूं की धीमी बुआई ने चिंता पैदा कर दी है। ऐसा इसलिए कि बारिश अपेक्षाकृत कम हुई है। इसके अलावा अल नीनो का प्रभाव जून 2024 तक देखा जाएगा, जिसका भारत की खेती-किसानी पर भी पड़ेगा।

रबी की बुआई बढ़ने के साथ-साथ फसलों के रकबा में सामान्य वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, रबी का कुल रकबा 120.50 लाख हेक्टेयर है, जो एक साल पहले 115.83 लाख हेक्टेयर था। दूसरी ओर इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून की विदाई और अक्टूबर में कम बारिश से फसलों का कवरेज पिछले वर्ष के बराबर नहीं है। इसे बुआई धीमी हो गई है। 1901 की तुलना में अक्टूबर में भारत में छठी सबसे कम वर्षा देखी गई। अनुमान है कि उत्तर-पूर्वी मानसून, जो अक्टूबर के अंत में शुरू हुआ, आने वाले सप्ताह में अधिक बारिश कर सकता है।

धान के रकबे में गिरावट
पिछले वर्ष के 6.11 लाख हेक्टेयर की तुलना में, अब 5.56 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। यह परेशान करने वाली बात है क्योंकि, अनुमान के मुताबिक खरीफ के चावल का उत्पादन कम हो गया है।

दालों के रकबे में बढ़ोतरी
कम खरीफ उत्पादन और अनुकूल कीमतों के कारण दालों के रकबे में वृद्धि हुई है। अब तक 38.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जा चुका है, जिसमें अधिकांश सबसे अधिक हिस्सेदारी चना की है। औसत से कम जलाशय स्तर और महाराष्ट्र एक तरह से सूखे से गुजर रहा है, उसके कारण अगर पर्याप्त वारिश नहीं हुई तो दलहन फसलों को नुकसान हो सकता है।

ज्वार और मक्का का रकबा बढ़ा
ज्वार और मक्का का रकबा बढ़कर क्रमश: 1.80 लाख हेक्टेयर और 8.93 लाख हेक्टेयर हो गया है। बाजरे का क्षेत्रफल अभी भी 2,000 हेक्टेयर है। आंकड़ों के मुताबिक मोटे अनाज का कवरेज पिछले वर्ष के 7.78 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 11.21 लाख हेक्टेयर हो गया है। अभी बुआई में महाराष्ट्र सबसे आगे है। इस साल तिलहन की बुआई का कुल रकबा 47.53 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल के 43.64 लाख हेक्टेयर से अधिक है।

अल नीनो का असर
अल नीनो, जो प्रशांत महासागर में गर्मी बढ़ने के कारण आता है, भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा भविष्यवाणी की गई है कि यह भारत को कम से कम जून 2024 तक प्रभावित करेगा।