देहरादून। बेमौसम हुई तेज बारिश फिर समय से पहले ही पड़ने वाली तेज गर्मी ने इस बार उत्तर प्रदेश में आम का मिजाज बिगाड़ कर रख दिया है। खराब मौसम की मार से इस बार प्रदेश में आम का उत्पादन आधा रह जाने की आशंका जतायी जा रही है।
उत्तर प्रदेश के फल पट्टी क्षेत्र मलिहाबाद-काकोरी के बागवानों के मुताबिक बीते कई सालों के मुकाबले इस बार आम की कीमत खासी ज्यादा रहेगी और यह आम लोगों की पहुंच से दूर हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में आम की फसल पर संकट बौर आने के साथ ही शुरू हो गया था। पहले तो फरवरी के आखिरी हफ्ते से लेकर आधे मार्च में ही तेज धूप ने बौर पर असर डाला और इसके बाद 16 मार्च से 21 मार्च के बीच हुई मूसलाधार बारिश ने बहुत कुछ बर्बाद कर दिया।
मलिहाबाद की मशहूर नफीस नर्सरी के शबीहुल हसन बताते हैं कि फरवरी-मार्च की गर्मी के चलते ही 25-30 फीसदी बौर नष्ट हो गयी थी और रही सही कसर बाद में हुई बारिश ने पूरी कर दी। उनका कहना है कि अब जो बागों की हालत है उसमें कारोबारियों को घाटे के सिवा कुछ नहीं दिख रहा है।
बागवान हकीम त्रिवेदी बताते हैं कि मार्च के आखिरी हफ्ते में हुयी जोरदार बारिश के बाद आम के पेड़ों में ब्लैक फंगस की बीमारी लग गयी जिसके बाद आधी से ज्यादा फसल नष्ट हो गयी है। उनका कहना है कि बारिश के चलते पेड़ों पर हुआ कीटनाशक वगैरा का छिड़काव भी धुल गया और बीमारी को पनपने का मौका मिल गया।
खुद सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ सब ट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर (सीआईएसएच) का अनुमान प्रदेश भर में इस बार 25 फीसदी तो मलिहाबाद में 35 फीसदी तक आम के फसल के खराब हो जाने का है। वैज्ञानिकों का कहना है फल पट्टी क्षेत्र मलिहाबाद-काकोरी में ओला, तेज बारिश व आंधी ने भी काफी नुकसान किया है। इस बार आम के आठ प्रमुख उत्पादक जिलों में नुकसान का जायजा लेने के लिए बनाई गयी टीम ने भी सबसे ज्यादा 35 फीसदी नुकसान लखनऊ में तो बाकी जगहों पर करीब 20 से 25 फीसदी का अनुमान लगाया है।
गौरतलब है कि देश भर में होने वाले आम उत्पादन का सबसे ज्यादा करीब 23 फीसदी अकेले उत्तर प्रदेश में होता है। प्रदेश में काकोरी-मलिहाबाद में दशहरी, सहारनपुर में दशहरी-सफेदा, बनारस में लंगड़ा-चौसा और पूर्वी जिलों में कपूरी जैसे उम्दा आमों का पैदावार होती है। प्रदेश में एक अनुमान के मुताबिक 27 लाख हेक्टेयर आम के बागान हैं और सामान्य सीजन में 45 लाख टन की पैदावार होती है।
शबीहुल हसन बताते हैं कि लखनऊ के अलावा वाराणसी, सीतापुर, बाराबंकी, बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर, शामली, कुशीनगर, गोरखपुर, चंदौली, बागपत, मुजफ्फरनगर सहित दो दर्जन जिलों में आम की अच्छी पैदावार होती है। खराब मौसम से सबसे ज्यादा प्रभाव दशहरी, लखनौव्वा, चौसा और लंगड़ा जैसे आमों पर पड़ा है।