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इन इंजीनियर्स ने अपने आईटीआर में परिवार के सदस्यों की फर्जी तरीके से बीमारी और दिव्यांगता दिखाकर रिफंड के लिए क्लेम किया था
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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के डिप्टी कमिश्नर एम मोहन बाबू ने सेंट्रल क्राइम स्टेशन में इन सभी के खिलाफ केस दर्ज करा दिया है
नई दिल्ली। एक ही कंपनी के 200 सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स द्वारा आईटीआर में घपला करने के कारण इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने केस दर्ज कर लिया है। ये सभी इंजीनियर्स हैदराबाद स्थित पोलारिस कंपनी में काम करते हैं।
इन इंजीनियर्स ने अपने आईटीआर में परिवार के सदस्यों की फर्जी तरीके से बीमारी और दिव्यांगता दिखाकर रिफंड के लिए क्लेम किया था।
मामले के संज्ञान में आने के बाद हैदराबाद सर्किल के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के डिप्टी कमिश्नर एम मोहन बाबू ने सेंट्रल क्राइम स्टेशन में इन सभी के खिलाफ केस दर्ज करा दिया है।
पुलिस ने जांच के बाद इन सभी आरोपियों के अलावा दो चार्टर्ड अकाउंटेंट को भी हिरासत में लिया है, जिन्होंने इस तरह के आईटीआर भरे थे। पुलिस ने इन दोनों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भी फाइल कर दी है।
सेंट्रल क्राइम स्टेशन के असिसटेंट कमिश्नर आर रामकुमार ने कहा कि दोनों अभियुक्त एन श्रीकांत गौड़ और मोहम्मद खलील नाम के इन दो सीए ने पहले दिलसुख नगर की वेकंटशवर कॉलोनी में अपने ऑफिस का सेटअप किया और फिर बाद में पोलारिस के कर्मचारियों से इनकम टैक्स रिफंड पाने में मदद करने का भरोसा दिलाया।
इस तरह से किया घोटाला
इस केस की जांच करने वाले राम कुमार ने बताया कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80डी और 80डीडी के तहत कोई भी व्यक्ति मेडीकल ग्राउंड पर रिफंड के लिए क्लेम कर सकता है।
इन दोनों सीए ने पोलारिस के कर्मचारियों से मिलकर के उनके आईटीआर इस शर्त पर प्रोसेस करने के लिए कहा कि वो अपने परिवार के सदस्यों को गंभीर बीमारी से पीड़ित दिखाएंगे तो उन्हें क्लेम मिल जाएगा।
रिफंड दाखिल करने के बाद प्रत्येक कर्मचारी को 50 हजार से लेकर के 1 लाख रुपये तक का आईटीआर में रिबेट मिल गई। इसके लिए दोनों सीए ने प्रत्येक कर्मी से 10 फीसदी कमीशन के तौर पर लिया।
ऐसा करने से आईटी डिपार्टमेंट को करीब 1.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। डिपार्टमेंट ने कहा है कि वो शहर में मौजूद ऐसे सीए के खिलाफ अभियान चलाकर के कार्रवाई करेगी, जो रिटर्न फाइल करने में गड़बड़ी करके अपना फायदा कर रहे हैं।