जापान से भारत को इन्फ्रस्ट्रक्चर विकास के लिए मिलेगा सस्ता कर्ज

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जापान ने इसके लिए 88 हजार करोड़ रुपये का कर्ज 0.1 प्रतिशत की मामूली ब्याज दर पर 50 सालों के लिए दिया है

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के सहयोग से मुंबई और अहमदाबाद के बीच देश के पहले बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट की अहमदाबाद में आधारशिला रखी। यह प्रॉजेक्ट 2022 में पूरा होगा और इस पर करीब 1 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

जापान ने इसके लिए 88 हजार करोड़ रुपये का कर्ज 0.1 प्रतिशत की मामूली ब्याज दर पर 50 सालों के लिए दिया है। दरअसल भारत को जैपनीज इंटरनैशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (JICA) के जरिए 2007-08 से अब तक डेढ़ लाख करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन मिल चुका है।

इस लोन की ब्याज दर 0.1 प्रतिशत से लेकर 1.4 प्रतिशत है जिसे 30 से लेकर 50 सालों में चुकाया जाना है। खास बात यह है कि जापान से यह सॉफ्ट लोन सिर्फ इन्फ्रस्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के लिए ही मिला है। इस लोन के साथ एक बड़ी शर्त यह है कि पूरे प्रॉजेक्ट के 30 प्रतिशत वैल्यू के कॉन्ट्रैक्ट्स जापानी फर्म को दिए जाने चाहिए।

JICA भारत को कर्ज देने वाली सबसे बड़ी डोनर एजेंसी है। JICA 150 देशों में कार्यरत है और भारत इन देशों में सबसे ज्यादा कर्ज प्राप्त करने वाला देश है। फीडबैक इन्फ्रा के चैयरमैन विनायक चटर्जी कहते हैं, ‘JICA ने भारत में बड़े इन्फ्रस्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स को क्रियान्वित करने में चुपके से विश्व बैंक और एशियन डिवेलपमेंट बैंक को भी पीछे छोड़ चुका है।’

JICA के उदार लोन से खड़ी चुनौतियां
जापान से जिस तरह भारत को इन्फ्रस्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के लिए लोन मिल रहे हैं, उसके फायदे तो है लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं है। सवाल यह है कि जिस देश का राजकोषीय घाटा इतना ज्यादा हो (2016 में 4,95 लाख करोड़ रुपये) वह ऐसे मेगा प्रॉजेक्ट्स को वहन कर पाएगा।

दूसरा सवाल वित्तीय तौर पर प्रॉजेक्ट्स के फलदायी होने को लेकर है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या बुलेट ट्रेन की राइडरशिप उम्मीदों के अनुरूप होगी। इन सॉफ्ट लोन्स को लेकर एक और चुनौती है और वह है JICA की एक शर्त। प्रॉजेक्ट्स के कुल खर्च के 30 प्रतिशत मूल्य के ठेके जापानी फर्मों को मिलने चाहिए।

किस तरह के प्रॉजेक्ट्स के लिए JICA से मिले पैसे
ट्रांसपोर्ट से जुड़े प्रॉजेक्ट्स टॉप पर हैं। JICA जिन प्रॉजेक्ट्स के लिए कर्ज दे रही है, उनमें से 55 प्रतिशत ट्रांसपोर्ट से जुड़े हुए हैं। इसके लिए JICA ने 73 हजार करोड़ रुपये के कर्ज दिए हैं, जिनमें से 12 प्रॉजेक्ट्स निर्माणाधीन है। इनमें मेट्रो रेल प्रॉजेक्ट्स से लेकर कुछ अहम सड़क परियोजनाएं शामिल हैं।

JICA ने जिन प्रॉजेक्ट्स के लिए कर्ज दिया है उनमें से करीब 16 प्रतिशत जल से जुड़े हुए हैं। इसके लिए उसने कुल 29 प्रॉजेक्ट्स के लिए 30 हजार करोड़ का कर्ज दिया है। 13 प्रतिशत प्रॉजेक्ट्स ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े हैं। 77,500 करोड़ रुपये के 11 प्रॉजेक्ट्स निर्माणाधीन है।

इसके तहत कुछ राज्यों में हाइड्रो और थर्मल पावर स्टेशन और हरियाणा, एमपी, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और महाराष्ट्र में ट्रांसमिशन ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क से जुड़े प्रॉजेक्ट्स हैं। JICA द्वारा वित्तपोषित प्रॉजेक्ट्स में 7 प्रतिशत कृषि और बागवानी से जुड़े हुए हैं। इससे जुड़े 19 प्रॉजेक्ट्स के लिए 23 हजार 300 करोड़ का कर्ज मिला है।

JICA द्वारा वित्तपोषित 4 बड़े प्रॉजेक्ट्स
1. बुलेट ट्रेन
1.1 लाख करोड़ रुपये की आनुमानित लागत वाले अहमदाबाद और मुंबई के बीच हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए जापान ने 88 हजार करोड़ रुपये का कर्ज 0.1 प्रतिशत ब्याज पर दिया है। यह हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर 508 किलोमीटर लंबा होगा और यह दूसरी 127 मिनट में तय होगी। इस प्रॉजेक्ट के निर्माण से करीब 24 हजार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे। यह प्रॉजेक्ट 2022 में पूरा होगा।

2. नॉर्थ-ईस्ट में इन्फ्रस्ट्रक्चर विकास
डोकलाम को लेकर भारत-चीन के बीच चले गतिरोध के बीच जापान ने नॉर्थ-ईस्ट में इन्फ्रस्ट्रक्चर के विकास में सहयोग दिया है। राजमार्गों और पुलों के निर्माण के लिए 4 हजार करोड़ रुपये के प्रॉजेक्ट और 900 करोड़ रुपये के हाइड्रो प्रॉजेक्ट्स से क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने और इन्फ्रस्ट्रक्चर के विकास में मदद मिलेगी। जाहिर तौर पर इन प्रॉजेक्ट्स से चीन का नाराज होना लाजिमी है।

3. दिल्ली मेट्रो
JICA के सहयोग से ही 1990 के दशक में DMRC के जरिए भारत में विश्व-स्तरीय मेट्रो रेल सर्विस शुरू हुई। फेज-1 के प्रॉजेक्ट के लिए JICA ने 60 प्रतिशत फंड दिया था। आज देश के 9 शहरों में मेट्रो नेटवर्क या तो ऑपरेशनल है या निर्माणाधीन है। भारत सरकार 50 से ज्यादा शहरों में मेट्रो की संभावना देख रही है।

4. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर
JICA भारत के सबसे बड़ डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) प्रॉजेक्ट में मदद कर रहा है। 81,459 करोड़ रुपये का यह प्रॉजेक्ट 2019 में पूरा होगा। इससे माल ढुलाई तेजी से हो सकेगी। ईस्टर्न DFC के लिए जहां विश्व बैंक फंडिंग कर रहा है, वहीं वेस्टर्न DFC के लिए JICA 38,722 करोड़ रुपये की फंडिंग कर रही है।