सकारात्मक विचारों से जीवन में हर चुनौती पर सफलता संभव

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कोटा । जीवन में तीन तरह से सीखते हुए या प्रेरित होकर श्रेष्ठ बना जा सकता है। पहला दूसरों को देखकर हम आगे बढ़ें। दूसरा मस्तिष्क का उपयोग कैसे बेहतर करके और तीसरा पढ़ने का तरीका समझते हुए अच्छा प्रदर्शन करके। इन्हीं तीनों कड़ियों को जोड़ते हुए  विद्यार्थियों के लिए विशेष सेमिनार आयोजित की गई , जिसे विंग्स ऑफ विज्डम नाम दिया गया है।

विद्यार्थियों में अंतःकरण से बदलाव लाने के इस प्रयास के तहत चंडीगढ़ के चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट, साइकोमेट्रियन और कॅरियर काउंसलर डॉ.हरिश शर्मा सेशन ले रहे हैं। सेमिनार में विद्यार्थियों को सकारात्मकता की तरफ बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

यह समझाया जा रहा है कि सकारात्मक सोचना आपका अधिकार है और नकारात्मक सोचना आपके लिए अपराध है। सकारात्मक विचारों से हर चुनौती पर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
सेमिनार में विद्यार्थियों को प्रेरित करने के लिए शुरूआत संबंधित बैच श्रेष्ठ विद्यार्थियों को मेडल डिस्ट्रीब्यूशन के साथ की जाती है।

इसके बाद डॉ.शर्मा का सेशन विद्यार्थियों को मस्तिष्क की उपयोगिता को लेकर होता है तथा अंत में एलन के सीनियर वाइस प्रसीडेंट सी.आर.चौधरी द्वारा अकेडमिक्स को मजबूत करने के लिए सेशन लिया जाता है।

जीवन की तीन राहें
डॉ शर्मा ने बताया कि तरूणावस्था में हमारे शरीर में कई हार्मोन्स का स्त्राव होता है। इसमें डोपामाइन मुख्य है। यह हार्मोन हमें कोई भी कार्य जुझारूपन से करने के लिए प्रेरित करता है। इस अवस्था में यदि विद्यार्थी कॅरियर को लक्ष्य मानकर पढ़ाई में जुट जाता है तो मंजिल पा लेता है।

दूसरा रास्ता उसे विपरित लिंग की तरफ आकर्षित करता है और लव अफेयर्स में उलझ जाता है। ये दोनों स्थितियां नहीं होने पर विद्यार्थी भोजन की तरफ आकर्षित होता है और वो खाने पर बहुत अधिक ध्यान देने लगता है जो उसके शरीर को बिगाड़ देता है।
समय बिताएं नहीं, खर्च करें

डॉ.शर्मा ने बताया कि हम सभी के पास निर्धारित समय होता है। यदि हम समय व्यर्थ बिता देंगे तो हमें कुछ हासिल नहीं होगा, वहीं यदि हम लक्ष्य को देखते हुए समय खर्च करेंगे तो जीवन के उद्देश्य पूर्ण होते चले जाएंगे।

डॉ.शर्मा ने कहा कि ना कहना सीखना जरूरी है तभी समय का सदुपयोग हो सकेगा। यदि आप पढ़ रहे हैं और कोई बुलाता है तो आप मना करना सीखें, इसके लिए सेल्फ कंट्रोल मैनजमेंट मजबूत करना होगा।

मोबाइल से 72 तरह के नुकसान
डॉ. हरीश शर्मा ने बताया कि विद्यार्थियों को मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। क्योंकि मोबाइल से जो रेडिएशन निकलता है, उससे 72 तरह के नुकसान होते हैं। उन्होने रेडिएशन डिवाइस के जरिए मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन की जानकारी दी।

हमारे ब्रेन के पांच हिस्से इस रेडिएशन से सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं। इससे पढ़ाई की स्पीड कम होती है। नींद साइकिल डिस्टर्ब होती है। जिससे विद्यार्थी का दिमाग क्लास में थका हुआ रहता है। विद्यार्थी सोडियम ज्यादा खाने लगता है, जिससे एकाग्रता कम होती है।

सकारात्मक सोच से सफलता का रास्ता
डॉ. हरीश ने बताया कि विद्यार्थी जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आपकी सोच काफी महत्वपूर्ण होती है। जब भी आप कुछ कल्पना करते है, दिमाग उन विचारों को ग्रहण करता है। इस समय कुछ कैमिकल रिएक्शन होने के साथ हार्मोन ग्रंथियां सक्रिय होती है।

जैसे विचार आएंगे, हार्मोन भी वैसे ही निकलेंगे। नकारात्मक विषयों के लिए स्ट्रेस हार्मोन तो सकारात्मक विषयों के लिए हैप्पी हार्मोन। सकारात्मक विचारों से शरीर की एनर्जी दुगुनी हो जाती है। अपना मनपसंद कार्य करने से दिमाग में डोपामाइन नामक हार्मोन का स्राव होता है, जो आपके तनाव को कम करके बेहतर महसूस कराता है।

एक लाख लोगों के लिए  प्रयास
पिछले 15 दिनों में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट कोटा के विभिन्न कैम्पस में विद्यार्थियों के साथ-साथ अभिभावकों के लिए 51 सेशन हो चुके हैं, जिसमें 92 हजार से अधिक स्टूडेंट्स और 6 हजार से अधिक अभिभावक और करीब 2 हजार टीचर्स शामिल हो चुके हैं। एक लाख लोगों के लिए यह प्रयास पहली बार कोटा में गया है।