व्यभिचार की दोषी पत्नी को गुजारा भत्ते का अधिकार नहीं, कोर्ट का फैसला

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नई दिल्ली। बॉम्बे हाई कोर्ट की तरफ से तलाकशुदा पत्नी के गुजारा भत्ता को लेकर बड़ा फैसला दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि अगर तलाक के बाद पत्नी व्यभिचार की दोषी पायी जाती है, तो पत्नी को गुजारा भत्ता की हकदार नहीं होगी। जस्टिस एनडब्ल्यू साम्ब्रे ने मामले की सुनवाई के बाद सांगली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के फैसले के बरकरार रखा, जिसमें संजीवनी कोंडलकर की गुजारा भत्ता की मांग को खारिज कर दिया गया था।

बता दें कि संजीवनी कोंडलकर और रामचंद्र कोडलकर की 6 मई 1980 को शादी हुई थी। इसके बाद हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत व्यभिचार के आधार पर दोनों का 27 अप्रैल 2000 को तलाक हो गया और न्यायालय ने पति को हर महीने पत्नी के लिए 150 रुपए और बच्चे के लिए 25 रुपए गुजारा भत्ता देने का फैसला दिया।

हालांकि पत्नी ने गुजारा भत्ता कम होने की दलील देकर न्यायालय से गुजारा भत्ता बढ़ाने की मांग की, जिसे 2010 में स्वीकार कर लिया गया और न्यायालय ने पत्नी के लिए 500 और पुत्र के लिए 400 रुपए देने का निर्देश दिया।

इस फैसले के बाद पति रामचंद्र कोडलकर ने जिला न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की। इस पर सांगली जिला के सत्र न्यायालय ने पति की अर्जी को मंजूर करते हुए गुजारा भत्ता को रद्द कर दिया। फैसले को संजीवनी कोंडलकर ने बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया।