वेतन कटौती से शिक्षकों मे आक्रोश, स्थायी समिति करेगी उग्र आन्दोलन का निर्णय

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कोटा। कोरोना महामारी के काल में शिक्षकों ने अपना उत्तरदायित्व पूर्ण मनोयोग से निभाया। राजस्थान शिक्षक संघ ने आगे बढकर कोरोना फंड के लिए वेतन देने की बात भी सरकार के सामने रखी। जिस पर सरकार की ओर से वेतन काट भी लिया। इसके बावजूद अब सरकार कोराना की आड़ लेकर बार बार वेतन समेत दूसरी कटौती करने पर उतारू है। ऐसे में, राजस्थान सरकार की ओर से राजकीय कर्मचारियों का शेषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

प्रदेश के शिक्षकों समेत अन्य कार्मिकों के वेतन से प्रतिमाह 1 व 2 दिन का वेतन कटौती करने, मार्च के 16 दिनों के वेतन को स्थगित करने पर राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त है। संघ की ओर से रविवार को आयोजित की गई प्रेसवार्ता में पदाधिकारियों ने यह बात कही।

राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के प्रदेश सभाध्यक्ष देवलाल गोचर ने रविवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि राज्य के शिक्षा विभाग में 4 लाख 5 हजार 633 के करीब कार्मिक कार्यरत हंै। शिक्षकों के कुल वेतन में से 1 माह का वेतन तो आयकर चुकाने में ही चला जाता है, शेष 11 माह के वेतन में अपना गुजारा चलता है। इनमें से भी वेतन स्थगित करना व प्रतिमाह 1 व 2 दिन वेतन कटौती करने का निर्णय शिक्षकों की आर्थिक क्षमता को कमजोर करता है।

मंत्रियों को इनोवा कार दी जा रही, लेकिन आम जनता का शोषण हो रहा
एक तरफ सरकार के द्वारा मंत्रियों को लक्जरी कार इनोवा दी जा रही हैं और दूसरी ओर कर्मचारियों और आम जनता की कमर तोड़ने के निर्णय किए जा रहे हैं। सरकार ने वेतन कटौती का निर्णय करने से पूर्व कर्मचारियों से कोई सहमति नहीं ली है। सरकार को आवश्यकता है तो पूर्व की कटौती का हिसाब दिया जाए और इसके बाद आवश्यकता हो तो कर्मचारियों से सहमति लेकर कटौती की जाए।

बिना वित्तीय आपातकाल लगाए वेतन कटौती असंवैधानिक
संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष (प्राथमिक शिक्षा) देवकीनन्दन सुमन ने कहा कि आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा रिट पिटीशन संख्या 128/2020 डीएल कामेश्वरी बनाम आंध्रप्रदेश राज्य मामले में हाल ही में 11 अगस्त 2020 के निर्णय में स्पष्ट निर्णय दिया है। जिसके अनुसार वित्तीय आपातकाल घोषित किए बिना वेतन स्थगित करना या उसमें कटौती करना संविधान के अनुच्छेद 21 व 300ए के तहत असंवैधानिक है। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश सहसंगठन मंत्री ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि कटौती भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के विपरीत है। वर्तमान में प्रदेश की आर्थिक स्थितियां सामान्य है ।

उग्र आन्दोलन का निर्णय
संगठन की संभाग संगठन मंत्री सुनीता तिवारी ने कहा कि शिक्षकों के वेतन व भत्तों की गणना सरकार द्वारा स्थापित विभिन्न आयोगों की समीक्षा के उपरांत भी उसमें कटौती करने के बाद ही स्वीकृत किए जाते रहे हैं । शिक्षकों के वेतन भत्तों को विधायकों की तरह हर दो-तीन साल में ध्वनिमत से पारित करने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में, बढ़ती मंहगाई में शिक्षक अपना व अपने परिवार का जीवनयापन और ईएमआई भरने के लिए आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ेगा। कोटा जिलाध्यक्ष नवल किशोर शर्मा ने कहा कि जुलाई 19 के बाद मंहगाई भत्ते में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं किए जाने एवं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार बढ़ती मंहगाई के कारण तुलनात्मक शिक्षकों की आर्थिक क्षमता कम हुई है। सरकार के निर्णय के विरोध में 15 सितम्बर तक ज्ञापन दिए जाएंगे। इसके बाद प्रान्त की स्थाई समिति के निर्णय के अनुसार उग्र आन्दोलन किया जाएगा।

भेदभावपूर्ण तरीके से वेतन कटौती
संगठन के कोटा जिलामंत्री रासबिहारी यादव ने कहा कि शिक्षक अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए अपने मासिक वेतन पर पूर्णतया निर्भर है। ऐसे में सौतेले व भेदभावपूर्ण तरीके से वेतन कटौती , वेतन भत्ते स्थगित करना अन्यायपूर्ण कदम है। जिला संगठन मंत्री स्नेह कुमार शर्मा ने बताया कि पूर्व में वेतन से 5, 4, 3, 2, 1 दिन के वेतन कटौती की जा चुकी है और 16 दिनों के वेतन, बकाया मंहगाई भत्ते व सरेंडर रोक दिया गया। शिक्षकों के लिए 1 दिन व व्याख्याताओ, प्रधानाचार्यों व शिक्षा अधिकारियों के लिए 2 दिन वेतन कटौती के आदेश भी भेदभावपूर्ण है। शिक्षकों के वेतन से औसतन 3 से 6 हजार रुपए प्रतिमाह कटौती किए जाने एवं 3 से 6 हजार रुपए प्रतिमाह आयकर चुकाने के बाद शेष रहे वेतन पर शिक्षक अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए अन्य साधनों पर निर्भर होना पड़ेगा।

एक कर्मचारी की वर्ष में औसतन 1 लाख की कटौती
संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष (प्राथमिक शिक्षा) देवकीनन्दन सुमन ने कहा कि एक शिक्षक जो कि लेवल 12 में कार्यरत है उसके मार्च 20 में कोरोना रिलीफ फंड में कटौती राशि 5932 रुपये, माह मार्च के 16 दिनों के स्थगित वेतन 39549 रुपये, डीए फ्रिज 4 प्रतिशत जो कि जनवरी 2020 से माह मार्च 2021 तक की राशि बनती है 29856 रुपये, पीएल सरेंडर रोकने के कारण वंचित राशि 34074 रुपये, माह सितंबर 2020 से प्रतिमाह वेतन में से 1 दिन की कटौती करने पर 18403 रुपये की कटौती की जा रही है। इस प्रकार एक वर्ष में कुल राशि 1,27,814 रुपये बनती है। इसी प्रकार यदि कोई कार्मिक लेवल 11 में कार्यरत है तो उसके वेतन भत्तों व स्थागित वेतन भत्तों में 92,221 रुपये की राशि एक वर्ष में काटी जाएगी। प्रधानाचार्य, व्याख्याता, शिक्षा अधिकारियों, मावि प्रधानाध्यापक व व्याख्याताआंे की यह राशि और भी अधिक आएगी। यदि इन दोनों का औसत निकाला जाए तो यह 1,10,018 रुपये की मार 1 वर्ष प्रत्येक कार्मिक को झेलनी पड़ेगी। ऐसे में मनमाने तरीके से राशि वसूल कर शिक्षा विभाग के कार्मिको का शोषण करने की कार्यवाही शिक्षक बर्दाश्त नहीं