विरासत के पीछे नहीं, बुद्धि के पीछे भागें : आदित्य सागर महाराज

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कोटा। श्रुतसंवेगी आदित्य सागर महाराज ससंघ व मुनि अप्रमित सागर के सानिध्य में जैन धर्मावलंबियों के लिए शनिवार को भी विशुद्ध ज्ञान ग्रीष्मकालीन वाचन का आयोजन त्रिकाल चौबीस दिगम्बर जैन मंदिर किया गया। मंदिर अध्यक्ष अंकित जैन व मंत्री अनुज जैन ने बताया कि श्रुतसंवेगी आदित्य सागर महाराज ससंघ को सुनने सैकड़ों की संख्या में लोग एकत्रित हुए।

शनिवार को आदित्य सागर महाराज ने ग्रीष्मकालीन वाचना में कहा कि विरासत में आपको गद्दी प्राप्त हो सकती है, परन्तु उस गद्दी को संभालने के लिए भी बुद्धि की जरूरत होती है। वह आपको विरासत में नहीं मिलेगी, इसके लिए पुरुषार्थ जरूरी है।

पिता, वंश, कुल और परम्परा में जो कुछ मिलता है वह विरासत होती है। परन्तु जो आप अपनी मेहनत, लग्न, अनुभव व कौशल से प्राप्त करते हैं वह बुद्धि होती है। बुद्धि ही सर्वश्रेष्ठ है। वही आपको गलत-सही का भेद, अच्छे व बुरे का अंतर और सत्य व झूठ में अंतर करना सिखाती है। वरना आप विरासत में मिले धन, पद और वैभव को भी गंवा दोगे।

उन्होंने कहा कि सुनना, पढ़ना और अनुभव ही आपकी बुद्धि को बढ़ाते हैं। हमें हर पल और हर सेकंड सीखने की मनोवृत्ति रखनी चाहिए, तभी बुद्धि का विकास होता है। बुद्धि के लिए हमें पुरुषार्थ करना होगा।