विजय माल्या की आपराधिक नीयत साबित होने पर ही होगा प्रत्यर्पण!

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मुंबई। विजय माल्या के प्रत्यर्पण पर ब्रिटिश कोर्ट का फैसला इस बात से तय होगा कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आरोपी के ‘आपराधिक इरादे’ को कैसे साबित करते हैं। इस मामले की जानकारी रखने वाले जाने-माने वकीलों ने यह बात कही है।

इनमें से एक वकील ने बताया, ‘अगर जज को लगता है कि जो सबूत पेश किए गए हैं, उनसे आरोप साबित नहीं होते या पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए जाते तो माल्या के वकील भारत से ठोस सबूतों की मांग कर सकते हैं।’ सीबीआई और ईडी ने कहा है कि माल्या ने सरकारी बैंकों से उधार लेकर उसकी हेराफेरी की और आपराधिक साजिश करके ब्रिटेन भाग गए।

उनका कहना है कि माल्या बैंकों का पैसा नहीं लौटाना चाहते। इस आधार पर वे ब्रिटिश कोर्ट से माल्या के प्रत्यर्पण की अपील कर रहे हैं। इस मामले में आरोपी का कहना है कि बिजनस फेल हो गया, इसलिए वह बैंकों का पैसा नहीं लौटा पाए।

जायवाला एंड कंपनी के संस्थापक और सीनियर पार्टनर एस जायवाला ने बताया, ‘भारत और ब्रिटेन ने द्विपक्षीय समझौता किया हुआ है, लेकिन वहां के मजबूत मानवाधिकार कानून के चलते माल्या का पक्ष मजबूत दिख रहा है। प्रत्यर्पण के लिए मानवाधिकार बड़ी शर्त है।

ने इस मामले में सबसे ऊपरी दर्जे में अमेरिका और यूरोपीय देशों को रखा है। भारत को दूसरे वर्ग में रखा गया है। इस वर्ग में शामिल देशों के लिए प्रत्यर्पण की प्रक्रिया काफी लंबी होती है। भारत की वॉन्टेड लिस्ट में शामिल 60 से अधिक आरोपी अभी ब्रिटेन में रह रहे हैं।’ बता दें कि माल्या पर 9,000 करोड़ रुपये के फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ब्रिटिश अदालत का फैसला 10 दिसंबर को आएगा।

जाने-माने वकील माजिद मेमन के मुताबिक, माल्या के वकील ने कहा है कि उन पर लगाए गए आरोप दीवानी हैं, फौजदारी नहीं। मेमन ने कहा, ‘इसे ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश अदालत माल्या के प्रत्यर्पण पर फैसला करेगी।’

ब्रिटेन के वकीलों ने बताया कि यूरोपियन कन्वेंशन ऑन ह्यूमन राइट्स के तहत यातना देने और अमानवीय व्यवहार की मनाही है। ब्रिटेन के प्रत्यर्पण कानून में कहा है कि अगर अदालत को लगता है कि आरोपी के मानवाधिकारों की रक्षा नहीं होगी तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है।

ब्रिटेन में ललित मोदी (वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपी), रवि शंकरण (नौसेना वॉर रूम लीक केस), टाइगर हनीफ (गुजरात में 1993 के बम धमाकों के आरोपी), नदीम सैफी (गुलशन कुमार हत्याकांड के आरोपी), रेमंड वेर्ली (गोवा में बाल उत्पीड़न केस के आरोपी और ब्रिटिश नागरिक) रह रहे हैं, जिन्हें सरकार भारत लाना चाहती है।

सर स्कॉट बेकर आयोग के मुताबिक, ब्रिटेन के साथ कई द्विपक्षीय समझौतों के तहत अमेरिका की तरफ से उसे 130 प्रत्यर्पण की अपील मिलीं। इनमें से ब्रिटेन ने 10 को भेजने से इनकार कर दिया। बाकी बचे हुए 120 में से 77 को अमेरिका भेजा गया, जबकि 43 अन्य मामलों में अभी सुनवाई चल रही है या वे खुद ही अमेरिका लौट गए या किसी वजह से उनका प्रत्यर्पण संभव नहीं रहा।

जायवाला ने बताया, ‘इस दौरान ब्रिटेन ने अमेरिका से 54 प्रत्यर्पण की अपील कीं, जिसमें एक के लिए भी इनकार नहीं किया गया।’ भारत ने ब्रिटेन के साथ 1992 में प्रत्यर्पण समझौता किया था, लेकिन अभी तक इसके तहत सिर्फ एक आरोपी को वहां से भारत भेजा गया है। यह प्रत्यर्पण भी लीगल रूट से नहीं हुआ, बल्कि गुजरात दंगों के आरोपी समीरभाई वीनूभाई पटेल खुद भारत लौटे।