मां में ही देवत्व के प्रथम दर्शन होते हैंः स्वामी घनश्यामाचार्य

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कोटा। झालरिया पीठाधिपति जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य जी महाराज कोटा प्रवास पर हैं। इंद्रा विहार स्थित एलन परिवार के निवास स्थान कृष्णायन में सोमवार स्वामी जी महाराज के पावन सान्निध्य में भगवान श्री वेंकटेश की दैनिक आरती-अर्चना हुई। स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि वेदों के अनुसार ‘मातृ देवो भवः’ अर्थात संसार के समस्त प्राणियों के लिए मातृभाव की विशेष महिमा है।

सर्वप्रथम मां में ही देवत्व के प्रथम दर्शन होते हैं। पुत्र कुपुत्र हो सकता है, पर माता कभी कुमाता नहीं बन सकती। मां के बाद पिता का स्थान आता है। मधुर बोलने वाला, कर्तव्यनिष्ठ, ईश्वर भक्त, उदार, सदाचारी, धर्मज्ञ, माता-पिता की भक्ति भावना से सेवा करने वाले और गुरु की सेवा करने वाले लोगों के घर में लक्ष्मी का स्थिर वास होता है। यदि आप माता-पिता एवं गुरु का सम्मान करोगे, तभी भगवान आपकी पूजा-प्रार्थना को स्वीकार कर आपको आशीर्वाद देंगे।

कृष्णायन में सोमवार सुबह आरती-अर्चना के दौरान कोटा सहित अन्य शहरों से आए भक्तगण भी मौजूद रहे। स्वामी जी महाराज के आशीर्वचनों के बाद गोष्ठी प्रसाद का वितरण हुआ। इसके बाद वे राजीव गांधी नगर स्थित एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के संकल्प कैम्पस में पहुंचे। जहां उनका भव्य स्वागत किया गया।

इसके साथ ही स्वामी जी ने भारत विकास परिषद अस्पताल के निर्माणाधीन अस्पताल का भ्रमण भी किया। दोपहर को स्वामीजी ने सड़क मार्ग से इंदौर के लिए प्रस्थान किया। जहां उनके सान्निध्य में 14 दिसंबर को गुमास्ता नगर स्थित श्री तिरुपति बालाजी वेंकटेश देवस्थान में अन्नकूट महोत्सव एवं छप्पन भोग दर्शन होंगे।