बैंक लॉकर की नई शर्तों से ग्राहक परेशान, जानिए क्यों

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नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से बैंक लॉकर (Bank Locker) को लेकर नए नियम लागू हो चुके हैं, लेकिन ग्राहकों को इन्हें लेकर भ्रम और असमंजस अभी भी बना हुआ है। बता दें कि RBI की यह शर्त कि बैंक लॉकर होल्डर्स को समय सीमा के भीतर नए लॉकर अग्रीमेंट के लिए पात्रता दिखानी होगी और नवीनीकरण के लिए अग्रीमेंट करना होगा। अब नए नियमों के बाद ग्राहकों को परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है।

जहां कुछ बैंक, लॉकर यूजर्स से 500 रुपये के कागज पर स्टांप अग्रीमेंट जमा करने के लिए कह रहे हैं, वहीं कुछ 100 रुपये का स्टांप पेपर लेने के लिए तैयार हैं। इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि स्टांप पेपर का खर्च कौन उठाएगा।

कुछ बैंक स्टांप पेपर दे रहे हैं वहीं कुछ बैंक ग्राहकों से ही स्टांप पेपर लाने का कह रहे हैं। साथ ही स्टांप पेपर की कमी भी सामने आ रही है। बैंक ग्राहकों की शिकायत है कि उन्हें अभी तक बैंक ब्रांच से नए अनुबंध के बाबत सूचना नहीं मिली है।

इसके साथ ही बैंकों ने लॉकरों के सालाना शुल्क में बढ़ोतरी कर दी है । SBI ने लॉकर के प्रकार के अनुसार वार्षिक शुल्क 1,500 रुपये से 12,000 रुपये तक बढ़ा दिया है जिस पर 500 रुपये से 3,000 रुपये तक GST भी लगाया जा रहा है। वहीं HDFC बैंक ने लॉकरों के प्रकार और ब्रांच की लोकेशन के आधार पर लॉकर का वार्षिक शुल्क 1,350 रुपये से लेकर 20,000 रुपये तक तय किया है।

गौरतलब है कि दो साल पहले 18 अगस्त 2021 को रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को निर्देश जारी करते हुए लिखा था कि वे अपने लॉकर धारकों के साथ नया अनुबंध 1 जनवरी, 2023 तक पूरा कर लें। फिर इस वर्ष जनवरी में रिजर्व बैंक ने एक सर्कुलर में बताया कि अभी तक बड़ी संख्या में लॉकरधारकों की ओर से नया अनुबंध करना शेष है।

बहुत सारे मामलों में बैंकों ने अपने लॉकर धारकों को इस बारे में सूचित भी नहीं किया है कि ऐसा तय सीमा अवधि के भीतर करना जरूरी है। रिजर्व बैंक ने लॉकर कॉन्ट्रैक्ट के रीन्यूअल की तारीख बढ़ा कर 31 दिसंबर कर दी, साथ ही बैंकों को निर्देश दिया कि 50% काम 30 जून, 2023 और 75% काम सितंबर 2023 तक कर लिया जाए। साथ ही बैंकों को निर्देश दिया कि रिजर्व बैंक के DAKSH सुपरवाइजरी पोर्टल पर हर महीने इस कार्य की प्रगति दिखाई जाए।

RBI के अनुसार, किसी ग्राहक को लॉकर देते समय, बैंक को उस ग्राहक के साथ विधिवत मुहर लगे कागज पर एक अग्रीमेंट करना होगा। लॉकर-किराए पर लेने वाले को उसके अधिकारों और जिम्मेदारियों को जानने के लिए दोनों पक्षों की ओर से साइन किए हुए अग्रीमेंट की एक कॉपी ग्राहक के पास एक बैंक के पास होनी चाहिए।

इसके अलावा बैंक को लॉकर की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने पड़ेंगे। अब बैंक यह नहीं कह सकते कि लॉकर में रखे सामान को लेकर उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। चोरी, धोखाधड़ी, आग या भवन ढह जाने की स्थिति में बैंकों की जिम्मेदारी लॉकर के वार्षिक किराए के 100 गुना तक होगी।