बूंदी-दलेलपुरा-अलोद सड़क का काम जल्द होगा प्रारंभ: स्पीकर बिरला

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खातौली के पास झरेल के बालाजी हाई लेवल ब्रिज निर्माण की बाधा भी दूर होगी

कोटा। बूंदी के लोगों की बूंदी-दलेलपुरा-अलोद तक सड़क निर्माण की बहुप्रतिक्षित मांग जल्द पूरी हो जाएगी। इसके अलावा खातौली को सवाई माधोपुर से जोड़ने के लिए झरेल के बालाजी मंदिर के पास चंबल नदी पर हाईलेवल ब्रिज का निर्माण कार्य भी जल्द प्रारंभ होने की संभावना है।

इन कार्यों में आ रही आपत्तियों के दूर होने के बाद एनटीसीए ने इसकी स्वीकृति जारी करने की सहमति दे दी है। यह जानकारी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को दी।

बूंदी से दलेलपुरा-आलोद के बीच सड़क की क्षेत्र के लोग लंबे समय से मांग कर रहे हैं। इस सड़क का निर्माण कार्य वन विभाग की एनओसी के कारण अटका हुआ था। लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने क्षेत्र के लोगों को आश्वस्त किया था कि इस बारे में राज्य के स्तर से केंद्र सरकार को प्रस्ताव मिलने पर उसे तत्काल स्वीकृत करवा दिया जाएगा।

राज्य सरकार के स्तर से प्रस्ताव पहुंचने के बाद स्पीकर बिरला के निर्देश पर संबंधित अधिकारी इसका नियतिम फॉलोअप ले रहे थे। अब नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी ने इसको अपनी स्वीकृति दे दी है। इसके बाद सेंट्रल रोड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से बनने वाली इस सड़क के निर्माण और इसको चौड़ा करने में आ रही सभी बाधाएं दूर हो गई हैं।

इसी तरह खातौली से सवाई माधोपुर के बीच कनेक्टिविटी के लिए झरेल के बालाजी के निकट बनी पुलिया बेहद अहम है। बरसात के दिनों में चंबल नदी का जलस्तर बढ़ने पर यह पुलिया बंद हो जाती थी। इससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी भी प्रभावित होती थी। यहां हाई लेवल पुल का काम भी वन विभाग की एनओसी नहीं होने के कारण रूका हुआ है।

पिछले दिनों जब लोक सभा अध्यक्ष बिरला खातौली क्षेत्र के दौरे पर गए तो लोगों ने इस समस्या के बारे में बताया। बिरला ने तत्काल फोन पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में इस बारे में बात की थी जिसके बाद एनटीसीए ने इस हाईलेवल ब्रिज के निर्माण के लिए अपनी स्वीकृति दे दी है।

टोंक-खटकड़-केपाटन सड़क स्वीकृत
स्पीकर बिरला के प्रयासों से ही पिछले दिनों टोंक-खटकड़-केपाटन सड़क को भी एनटीसीए की स्वीकृति मिली थी। टोंक-नगर-नैंनवां-खटकड़-केशोरायपाटन के बीच करीब 48.70 किमी लंबी सड़क का निर्माण कार्य अगस्त 2018 में प्रारंभ हुआ था। करीब 30 किमी सड़क का काम जून, 2019 में पूरा हो गया। शेष 18.70 किमी लंबा का हिस्सा रणथंभौर टाईगर रिजर्व के बफर जोन में आने से अटका गया। तब से इस सड़क की स्वीकृति वन विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग, राज्य सरकार एवं एनसीटीए के बीच अटक रही थी। जन भावनाओं को देखते हुए स्पीकर ओम बिरला भी इसकी स्वीकृति दिलवाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे थे।