परिग्रह में परिणाम का हमेशा ध्यान रखना चाहिए : आदित्य सागर महाराज

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कोटा। श्रुतसंवेगी आदित्य सागर महाराज ससंघ व मुनि अप्रमित सागर के सानिध्य में जैन धर्मावलंबियों के लिए विशुद्ध ज्ञान ग्रीष्मकालीन वाचन का आयोजन किया जा रहा है। गुरूवार को आदित्य सागर महाराज ने कहा कि नील लेश्या के व्यक्ति लोभ में अंधे होते हैं, उसका उद्देश्य मात्र धन एकत्र करना होता है।

वह धन के लिए धर्म की आहुति दे देते हैं, परन्तु अपने भविष्य को बर्बाद कर लेते हैं। अत्यधिक सोने वाला, लोभी व्यक्ति, लालची व्यक्ति, धन को धर्म से ऊपर रखने वाला और हिंसक व्यक्ति नील लेश्या के होते हैं।

उन्होंने कहा कि हमें परिग्रह में परिणाम का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। धंधे में पाप से धन न कमाएं। कुछ डाक्टर ने कोरोना काल में रोगियों की किडनी व अन्य अंग बेच दिए। यह लोभ में अंधा होना है। उन्होंने उदाहरण दिया कि जैन समाज के कुछ लोग मुंबई में मांस का कारोबार कर रहे हैं। ऐसा करने वाले जैन नहीं हो सकते।

उन्होने कहा कि वर्तमान में आप हिंसा को जितना रोक सकते हैं, उतना ही अहिंसक होना माना जाएगा। हमें हिंसा का कम से कम करने का प्रयास करना चाहिए, यही हमारा अहिंसक होना है।

मंदिर अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि श्रुतसंवेगी आदित्य सागर महाराज ससंघ को सुनने सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नान्ता, महामंत्री विनोद तोरड़ी, मंदिर समिति के मंत्री अनुज जैन, अशोक पाटनी, पारस जैन सहित सैकड़ों की संख्या में लोग एकत्रित हुए।