नया वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही बदल गए आयकर संबंधी ये नियम

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नई दिल्ली। नया वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही आयकर संबंधी नियमों में भी बदलाव हुआ है। इसके अलावा कई तरह के टैक्स की दरों में बदलाव आया है जिसे समझना जरूरी है। सरकार ने भी साफ कर दिया है कि वित्त वर्ष को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है।

इस वित्त वर्ष के लिए नया टैक्स सिस्टम भी लागू हो गया है। नए सिस्टम में डिडक्शन और एग्जेम्पशन का प्रावधान नहीं है। पांच लाख तक इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। नए सिस्टम में 5-7.5 लाख तक इनकम पर 10 पर्सेंट, 7.5-10 लाख तक इनकम पर 15 पर्सेंट , 10-12.5 लाख तक पर 20 पर्सेंट, 12.5-15 लाख तक 25 पर्सेंट और 15 लाख से ज्यादा कमाई पर 30 पर्सेंट का टैक्स लगेगा।

नए वित्त वर्ष में म्यूचुअल फंड और डमेस्टिक कंपनी की तरफ से जारी होने वाले डिविडेंड की कमाई पर इनकम टैक्स लगेगा। मतलब 1 अप्रैल के बाद इससे हुई कमाई आपकी इनकम मानी जाएगी और टैक्स स्लैब के आधार पर उस पर टैक्स लगेगा। वित्त वर्ष 2019-20 में 10 लाख तक डीविडेंड पर कोई टैक्स नहीं लगता था।

नए वित्त वर्ष में NRI (नॉन रेसिडेंट इंडियन) की भी परिभाषा बदल गई है। बजट 2020 के फाइनल प्रस्ताव के मुताबिक, एक नॉन-रेसिडेंट इंडिया को रेसिडेंट इंडियन (नॉट ऑर्डिनरी रेसिडेंट) माना जाएगा अगर उसकी टैक्सेबल इनकम 15 लाख से ज्यादा है, उस वित्त वर्ष में 120 से ज्यादा दिन भारत में रहता है और पिछले चार वित्तीय वर्ष में 365 दिन या उससे ज्यादा हो।

अगर उसकी टैक्सेबल इनकम 15 लाख से ज्यादा नहीं है तो वह रेसिडेंट इंडियन तभी माना जाएगा जब वह उस वित्तीय वर्ष में 181 दिन से ज्यादा भारत में रहा हो। उससे कम रहने पर उसे NRI माना जाएगा।

जिन लोगों ने अब तक अफोर्डेबल हाउस के लिए होम लोन नहीं लिया है उनके लिए अच्छी खबर है। अगर कोई इस वित्त वर्ष में अफोर्डेबल हाउस के लिए होम लोन लेता है तो सेक्शन 80EE के तहत 31 मार्च 2021 तक डिकक्शन क्लेम कर सकता है। पहले आखिरी तारीख 31 मार्च 2020 थी। पुराने नियम के मुताबिक, अगर कोई 45 लाख से कम की प्रॉपर्टी के लिए होम लोन लेता है तो इंट्रेस्ट पर 1.5 लाख तक डिडक्शन क्लेम कर सकता है। हालांकि लोन 31 मार्च 2020 तक या उससे पहले सैंक्शन होना चाहिए था। यह छूट सेक्शन 24 के तहत पहले से मिल रही 2 लाख तक की छूट के अलावा है।

एंप्लॉयी स्टॉक ओनरशिप प्लान (ESOPs) को लेकर इस वित्त वर्ष में राहत दी गई है। टैक्स के नियमों में बदलाव के तहत ESOPs पर लगने वाला टैक्स कंपनी छोड़ते वक्त, शेयर बेचते वक्त या पांच साल बाद में जो पहले हो, दिया जा सकता है।

बजट की घोषणा के मुताबिक, नए वित्त वर्ष में अगर एंप्लॉयर का एंप्लॉयी प्रविडेंट फंड (EPF) और नैशनल पेंशन स्कीम (NPS) में योगदान 7.5 लाख से ज्यादा होता है ज्यादा रकम पर टैक्स लगेगा। टैक्स का भुगतान एंप्लॉयी को करना होगा।