ज्ञानी होना अच्छा, ज्ञान का घमण्ड बुरा: आर्यिका सौम्यनन्दिनी

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कोटा। श्री दिगम्बर जैन मंदिर महावीर नगर विस्तार योजना में पावन चातुर्मास कर रही आर्यिका सुयोग्यनन्दिनी माताजी ने प्रवचन करते हुए शुक्रवार को तत्वार्थ सूत्र का वाचन कराया। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अहंकारी होता हैं, वह संसार में भी अच्छा नहीं माना जाता। वह नीच गति का ही पात्र होता है।

मोक्ष मार्ग में तो सम्यक दर्शन के लिये परमार्थभूत श्रद्वा आठ अंगों सहित एवं आठ मद (अहंकार) से रहित ही होना चाहिए। तभी हमारा सम्यक् दर्शन पक्का हैं। यदि आपके अंदर किसी भी प्रकार का अहंकार हैं तो अभी आपका सम्यक दर्शन अधूरा हैं।

उन्होंने सम्यक दर्शन में दोष लगने वाले आठ मदों की विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि ज्ञान और पूजा का भी मद हो सकता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान होना बहुत अच्छी बात हैं, लेकिन मैं बहुत ज्ञानी हूं यह आपके ज्ञान का नहीं आपके अहंकार का घोतक हैं।

इसी प्रकार किसी को अपने कुल का अहंकार होता हैं, तो कोई अपनी जाति का अहंकार करता हैं। किसी को अपने शारीरिक बल पर तो किसी को अपनी ऋद्धि सिद्धि और तप का मद हो जाया करता हैं, तो कोई अपनी देह की सुन्दरता पर इतराता हैं। यह सभी अहंकार की ही श्रेणी में आते हैं।

सुयोग्यनन्दिनी माताजी ने कहा कि एक अहंकारी व्यक्ति अपने सामने दूसरे को तुच्छ समझता हैं। वह उनका तिरस्कार भले ही न करे लेकिन कम गुण होने के उपरांत भी वह अपना सम्मान चाहता हैं। उन्होंने कहा कि ‘मैं’ की भावना ही अहंकार हैं।