चीता: मुकुंदरा टाइगर रिजर्व को सरकार से नहीं न्यायपालिका से उम्मीद

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
Mukundra Tiger Reserve: राजनीतिक कारणों से तो कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को दक्षिण अफ़ीका, नामीबिया से लाये गये या निकट भविष्य में लाये जाने वाले चीते बसाने के मामले में न्याय नहीं मिला। अलबत्ता न्यायिक हस्तक्षेप के बाद और आशाओं के बीच मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में चीते आबाद किए जाने की उम्मीद अभी बरकरार है।

हालांकि इसे अभी भी केवल उम्मीद माना जाना चाहिए क्योंकि राजस्थान में अभी विधानसभा चुनाव सात महीने दूर है और केंद्र एवं राज्य की राजनीतिक दूरियां भी। वर्ष 2012 में 9 जनवरी को राष्ट्रीय पार्क और 10 अप्रैल 2013 में टाइगर रिजर्व घोषित किये। कोटा-झालावाड़ जिले और चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा इलाके में फ़ैले मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में चीते आबाद किए जाने की उम्मीद सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को पिछले गुरुवार को दी गई इस प्रताड़ना के साथ एक बार फिर से जागी है।

न्यायालय ने मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में दो माह के तीन चीतों की मौत पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए उसकी राजनीतिक पक्षपात भरी नीतियों पर यह कहते हुए सवाल खड़ा किया है कि केंद्र सरकार राजनीति से ऊपर उठकर इन चीतों को राजस्थान स्थानांतरित करने पर विचार करें। न्यायालय ने इस मामले में वन्य जीव विशेषज्ञों की समिति को एक पखवाड़े में अपने सुझाव चीता टास्क फ़ॉर्स को देने का आदेश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश केंद्र सरकार की भाजपानीत सरकार की चीता बसाने के मामले में नीतियों में पारदर्शिता-दूरदर्शिता के अभाव और राजनीतिक भेदभाव पूर्ण नजरिए पर सीधा-सीधा कड़ा प्रहार है। क्योंकि वर्ष 1952 में भारत से लुप्त घोषित हो चुके चीतों को देश में एक बार फिर से आबाद करने की करीब एक दशक पहले जब कवायद शुरू हुई थी तो विभिन्न मुद्दों पर बातचीत के बाद दक्षिणी अफ्रीका, नामीबिया से चीता विशेषज्ञों के दल ने भारत का दौरा किया था।

इस दल ने देश के कई अभयारण्यों का दौरा करने के बाद मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क के साथ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को चीते बसाने की दृष्टि से सर्वाधिक उपर्युक्त पाया था और इनमें भी मुकुंदरा हिल्स के 82 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को चीते आबाद करने के लिए सर्वाधिक मुफीद माना था।

लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व की कांग्रेस सरकार होने और काफी हद तक राज्य के वन्यजीव एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लेकर यथोचित प्रयास नहीं किये। जबकि मध्य प्रदेश में वहां के वन्यजीव विभाग के अधिकारियों की पूरी निष्ठा, तन्मयता और गंभीरता से प्रयास करने का नतीजा यह निकला कि दक्षिण अफ्रीका से आए चीते राजस्थान में मुकुंदरा टाइगर हिल्स रिजर्व की जगह कूनों नेशनल पार्क में छोड़े गए।

पहली बार जब बीते साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर यह चीते कूनों के खुले और स्वच्छ वातावरण में सांस लेने को पिंजरों से मुक्त किए गए तो इस दुर्लभ अवसर का साक्षी बनने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी खुद वहां मौजूद थे। इसके बाद चीतों की दूसरी खेप को इस साल 19 फरवरी को फिर से कूनो नेशनल पार्क में ही लाया गया तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं उपस्थित होकर इन चीतों को अभयारण्य की धरती पर छोड़ा। राजस्थान की झोली दूसरी बार भी खाली रही।

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में चीते लाने के लिए अब तक सबसे अधिक उपर्युक्त सार्थक एवं गंभीरता से पहल करते रहे कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक, पूर्व में कैबिनेट मंत्री रहने के साथ ही वर्तमान में राज्य वाइल्डलाइफ के सदस्य भरत सिंह कुंदनपुर।

इस मसले को लेकर वे कई बार मौलिक कटाक्ष करते हुये कह चुके हैं कि यदि राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होती या राज्य में आज चुनाव होकर कल भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन जाए तो परसों ही मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में चीते आ जाए।

श्री सिंह ने कहा भी है कि-” प्रधानमंत्री को अगर राजनीतिक बैर पालना है तो भरत सिंह से पाले। चीतों या सांगोद विधानसभा क्षेत्र के दरा अभयारण्य से क्यों पालते हैं? प्रधानमंत्री को अगर भीड़ और तालियां बजाकर स्वागत करते लोग ही देखना पसंद है तो वे दरा में चीते से ले आएं। वहां का निर्वाचित जनप्रतिनिधि होने के नाते प्रधानमंत्री का स्वागत करने में मैं सबसे आगे नहीं रहूंगा, मगर पहले चीते तो लाएं?

श्री सिंह का यह कथन इस बात को इंगित करता है कि राजस्थान के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व जाने के मामले में केंद्र सरकार पूरी तरह से पूर्वाग्रह से ग्रसित है और राजनीतिक भेदभाव बरतते हुए चीते बसाने के लिए मामले में एक तरफा और पूरी तरह राजनीति से प्रेरित संकीर्ण राजनीतिक मनोवृत्ति को दर्शाने वाली नीतियों पर अमल कर रही है।

क्योंकि दक्षिणी अफ्रीका और नामीबिया से आए विशेषज्ञ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को चीते बसाने के लिए उपर्युक्त बता चुके हैं, जबकि दूसरी ओर कूनो अभयारण्य से लगातार चीतों की मौतों की खबरें आ रही हैं, तो इन चीतों को उपर्युक्त होते हुए भी मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में नहीं बसाने की वजह राजनीतिक पक्षपात के अलावा और क्या हो सकती है?