कोटा को मिली संयम कीर्ति स्तंभ की सौगात, मंत्री धारीवाल ने किया लोकार्पण

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कोटा। कोटा के प्रमुख चौराहा सीएडी सर्किल पर बने संयम कीर्ति स्तंभ का लोकार्पण गुरूवार को स्वायत शासन मंत्री शांति धारीवाल ने किया। सकल जैन समाज ने लोकार्पण समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर शांति धारीवाल का साधुवाद ज्ञापित किया।

सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नांता ने कहा कि दिगम्बर जैन समाज के प्रारंभ हुए दशलक्षण धर्म पर्व के दसवें दिन शहर को संयम कीर्ति स्तंभ की सौगात से जैन समाज में हर्ष व्याप्त है।

सकल जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन व कार्याध्यक्ष जेके जैन ने बताया कि आचार्य विद्यासागर महाराज की मुनि दीक्षा वर्ष 1968 में अजमेर में हुई थी, उनके 55 वें दीक्षा वर्ष की बेला को यादगार बनाने के उद्देश्य से संयम कीर्ति स्तंभ की मांग की जा रही थी, जिसका गुरुवार को शांति धारीवाल ने लोकार्पण कर दिया। जैन समाज में मुनि दीक्षा पर्व पर मिली सौगात से सकल जैन समाज हर्षित है।आचार्य विद्यासागर महाराज के 50 वें दीक्षा वर्ष के उपलक्ष में संपूर्ण देश के लगभग 700 नगरों में निर्मित किए गए थे, कोटा शहर में भी आज इसका लोकार्पण किया जा चुका है।

9.80 करोड़ की लागत से निर्मित
मनोज जैन आदिनाथ एवं विकास जैन अजमेरा ने बताया कि संयम कीर्ति स्तंभ एक ऐसा स्तंभ है जो जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा अपने धर्म की महिमा और आदर्शों को प्रदर्शित करने के लिए बनाया गया है। इसके अलावा, यह स्तंभ भी दर्शाता है कि जैन धर्म का इतिहास और संस्कृति कितनी प्राचीन और समृद्ध है। चित्तौड़गढ़ क़िले परिसर में बने हुए कीर्ति स्तंभ की तर्ज पर संयम कीर्ति स्तंभ का निर्माण कोटा में प्रमुख चौराहा सीएडी सर्किल पर किया गया है। इसकी लागत 9 करोड 80 लाख रुपये है। इसे बनने में एक वर्ष की अवधि लगी है।

यह भी रहे मौजूद
प्रचार मंत्री मनोज जैन आदिनाथ ने बताया कि लोकार्पण समारोह में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष पंकज मेहता, यूआईटी के विषेशाधिकारी आरडी मीणा, सकल दिगम्बर जैन समाज के पूर्व अध्यक्ष राजमल पाटोदी,अध्यक्ष विमल जैन नांता, कार्याध्यक्ष जेके जैन, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं अकलंक स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास जैन अजमेरा, सकल जैन समाज की संयोजिका रेखा हिंगड़, अनिमेष जैन, कपिल जैन, लोकेश जैन, वीरेंद्र जैन, एडवोकेट संदीप जैन, अशोक पहाडिया, महावीर जैन, लोकेश जैन, पारस सौगानी, दर्पण जैन सहित समाज के कई लोग उपस्थित रहे।

दशलक्षण धर्म पर्व दसवां दिवस
महामंत्री विनोद जैन टोरडी ने बताया कि दशलक्षण धर्म पर्व के दसवां दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म अर्थात धर्म का सार है कि धर्म को अंगीकार करते हुए संयमित जीवन जीते हुए दसलक्षणों का पालन जैन धर्म के साधकों के लिए मुख्य आदर्श है। इन्हें अपने जीवन में अपनाने का प्रयास किया जाता है। जैन मंदिरों में प्रातः 6 बजे से जिनेंद्र भगवान का अभिषेक,शांतिधारा एवं पूजन किए गए, जिसमें विद्यमान बीस तीर्थंकर, देव शास्त्र गुरु, रत्नत्रय, सोलह कारण पूजा,चौबीस तीर्थंकर,दसलक्षण धर्म आदि की पूजन अष्टद्रव्यों से की गई। सांध्यकाल में शहर के सभी जिनालयों में दीपकों से सजे थालों से जिनेंद्र भगवान की आरती की गई। हजारों लोगो ने उपवास किए और दर्जनों लोग दस दिन तक निरंतर निराहार रहे।अनंत चतुर्दशी के दिन विभिन्न उपनगरों में जिनेंद्र भगवान की शोभायात्रा निकाली गयी।