अब दूरी के हिसाब से लगेगा टोल; मार्च से शुरू होगी सैटेलाइट आधारित टोल संग्रह प्रणाली

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नई दिल्ली। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि राजमार्ग टोल प्लाजा की मौजूदा व्यवस्था को बदलने के लिए सरकार अगले साल मार्च तक सैटेलाइट आधारित टोल संग्रह प्रणाली सहित नई प्रौद्योगिकियां पेश करेगी। इस कदम का उद्देश्य राजमार्गों पर यातायात को कम करना और राजमार्गों पर यात्रा की गई सटीक दूरी के लिए वाहन चालकों से शुल्क वसूलना है।

गडकरी ने कहा, ”सरकार देश में टोल प्लाजा व्यवस्था को बदलने के लिए जीपीएस-आधारित टोल सिस्टम सहित नई प्रौद्योगिकियां लाने पर विचार कर रही है। हम अगले साल मार्च तक देश भर में नए जीपीएस उपग्रह-आधारित टोल संग्रह शुरू कर देंगे।”

गडकरी ने कहा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने वाहनों को रोके बिना स्वचालित टोल संग्रह को सक्षम बनाने के लिए स्वचालित नंबर प्लेट पहचान प्रणाली की दो प्रायोगिक परियोजनाएं भी चलाई है। वर्ष 2018-19 के दौरान टोल प्लाजा पर वाहनों को औसतन आठ मिनट का इंतजार करना पड़ता था। वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 में फास्टैग व्यवस्था लागू होने से यह समय घटकर महज 47 सेकंड हो चुका है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कुछ स्थानों पर खासकर शहरों के पास घनी आबादी वाले कस्बों में टोल प्लाजा पर प्रतीक्षा के समय में काफी सुधार हुआ है, फिर भी अत्यधिक भीड़ के समय यह समय बढ़ जाता है।

इस बीच, गडकरी ने कहा कि सरकार आम चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले 1,000 किलोमीटर से कम लंबाई की राजमार्ग परियोजनाओं के लिए ‘बनाओ-चलाओ और सौंप दो’ (बीओटी) मॉडल पर 1.5-2 लाख करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं की बोली मंगाएगी। आम चुनाव अप्रैल-मई 2024 में होने की संभावना है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल नवंबर तक, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत एजेंसियों ने 5,248 किमी एनएच का विस्तार या निर्माण पूरा कर लिया था, जो एक साल पहले की समान अवधि में 4,766 किमी ही था। हालांकि, चालू वित्त वर्ष में केवल चार महीने शेष रहने के कारण, सरकार का 12,000 किलोमीटर के निर्माण और विस्तार का लक्ष्य पूरा होना मुश्किल लग रहा है।