Soybean Crushing: सोयाबीन की पेराई में गिरावट, DOC की निर्यात मांग भी कमजोर

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नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2023-24 (अक्टूबर से सितंबर) में अब सोयाबीन की पेराई सुस्त पड़ गई है। बीते दो-तीन महीने से सोयाबीन की पेराई में गिरावट देखी जा रही है। फरवरी महीने में भी सोयाबीन की पेराई कम हुई है। पेराई कम होने के साथ ही सोया खली की निर्यात मांग भी कमजोर पड़ने लगी है।

सोयाबीन उद्योग के प्रमुख संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023-24 की अक्टूबर-फरवरी अवधि में 52.50 लाख टन सोयाबीन की पेराई हुई है, जो पिछली समान अवधि में हुई 55.50 लाख टन पेराई से 5.40 फीसदी कम है।

फरवरी महीने में 9.50 लाख टन सोयाबीन की पेराई हुई, जो पिछले साल के समान महीने में हुई 10 लाख टन पेराई से 5 फीसदी कम है। फरवरी में जनवरी से भी कम पेराई हुई है। जनवरी में 10.50 लाख टन सोयाबीन की पेराई हुई थी। सोपा ने चालू तेल वर्ष में 120 लाख टन सोयाबीन की पेराई होने का अनुमान लगाया है, जो पिछले तेल वर्ष में हुई 115 लाख टन पेराई से 5.75 फीसदी अधिक है।

सोया खली निर्यात सुस्त
सोपा के अनुसार चालू तेल वर्ष में अब सोया खली का निर्यात धीमा पड़ने लगा है। फरवरी महीने में 2 लाख टन सोया खली का निर्यात हुआ, जो पिछले साल फरवरी में निर्यात हुई 2.84 लाख टन सोया खली से करीब 29.50 फीसदी कम है। हालांकि चालू तेल वर्ष की अक्टूबर-फरवरी अवधि में सोया खली के कुल निर्यात में अभी भी वृद्धि देखी जा रही है। इस अवधि में 8.94 लाख टन सोया खली का निर्यात हुआ है, जो पिछली समान के 8.52 लाख टन निर्यात से करीब 5 फीसदी ज्यादा है। सोया खली निर्यात सुस्त पड़ने की वजह भारतीय सोया खली के खरीदारों द्वारा अर्जेंटीना, ब्राजील व अन्य देशों से खली खरीदने को तरजीह देना है क्योंकि भारतीय सोया खली उन्हें महंगी पड़ रही है।