RBI ने दिया गिरती अर्थव्यवस्था को दूसरा बूस्टर, जानिए क्या होंगे फायदे

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नई दिल्ली। कोरोनावायरस संक्रमण के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दूसरी बार मीडिया को संबोधित किया। आज सुबह उन्होंने रिवर्स रेपो रेट में 25 बीपीएस की कटौती की। हालांकि सीआरआर और रेपो रेट में कौई कटौती नहीं की गई है। आरबीआई ने टार्गेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन के तहत एमएफआई और एनबीएफसी को 50 हजार करोड़ की मदद का ऐलान किया है।

बैंकों को राहत देने के लिए रिवर्स रेपो रेट को 4% से घटाकर 3.75% किया गया है जबकि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसके साथ ही, नाबार्ड, सिडबी और नेशनल हाउसिंग बोर्ड (एनएचबी) को 50 हजार करोड़ रुपए की मदद देने की घोषणा की गई है। राज्यों की डब्ल्यूएमए सीमा 60 प्रतिशत बढ़ा दी गई है। बढ़ी हुई यह सीमा 30 सितंबर तक के लिए रहेगी। इससे पहले आरबीआई ने 27 मार्च को मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में रेपो रेट में एक साथ 0.75 फीसदी की कटौती की थी।

इससे पहले रिजर्व बैंक ने बीते 27 मार्च को अर्थव्यवस्था के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें 3.74 लाख करोड़ रुपये का लिक्विडिटी बूस्ट मिला था। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को अचानक बुलाई प्रेस कांफ्रेंस में स्वीकार किया कि इस समय हम कोरोनावायरस के खिलाफ जो लड़ाई लड रहे हैं, वैसी लड़ाई पहले कभी नहीं लड़ी गई थी। इसलिए अर्थव्यवस्था से जुड़ी वैसी इकाइयों के लिए आसानी से कर्ज की उपलब्धता का बंदोबस्त करना होगा, जिससे कारोबार को बल मिले।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी उपाय
रिजर्व बैंक ने नाबार्ड के लिए 25 हजार करोड़ रुपये, सिडबी के लिए 15 हजार करोड़ रुपये जबकि नैशनल हाउसिंग बैंक के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का भी प्रावधान किया। नाबार्ड को मिली राशि से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों और माइक्रो फाइनैंस इंस्टीट्यूशंस का वित्तपोषण होगा जबकि सिडबी को मिली रकम से लघु उद्यमियों को आसानी से कर्ज मिल सकेगा। नैशनल हाउसिंग बैंक के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का ऐलान कर रिजर्व बैंक ने संकेत दे दिया कि आने वाले दिनों में आवासीय क्षेत्र में भी गतिविधियां बढ़ेंगी।

ब्याज दर कम रहेगी
रिजर्व बैंक ने कहा कि माइक्रो फाइनैंस इंस्टीट्यूशंस, नाबार्ड, सिडबी और नैशनल हाउसिंग बैंक के लिए जिस राशि का प्रावधान किया गया है, वह उन्हें रीपो रेट मतलब 4 फीसदी के वार्षिक ब्याज दर पर ही मिलेगी। इसका मतलब है कि माइक्रो फाइनैंस कंपनियों ने छोटे कर्ज लेने वाले कारोबारियों, सिडबी से लोन लेने वाले लघु उद्यमियों और होम लेने वालों को कम ब्याज दर पर ऋण का रास्ता प्रशस्त हुआ है।

बैंक भी देंगे ज्यादा लोन
शक्तिकांत दास ने कहा कि 15 अप्रैल को रिजर्व बैंक के पास बैंकों ने 6.9 लाख करोड़ रुपये जमा कराया था। उनका कहना है कि बैंक यह रकम रिजर्व बैंक में जमा कराने के बजाय वे लोन लेने वालों को दें। इसलिए रिजर्व बैंक ने आज रिवर्स रीपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती करते हुए इसे चार फीसदी से घटा कर 3.75 फीसदी कर दिया।

राज्यों को मिलेगी अतिरिक्त राशि
कोरोना संकट की वजह से राज्यों के राजस्व में कमी को देखते हुए रिजर्व बैंक ने उनके वेज ऐंड मीन्स अडवांस (डब्ल्यूएमए) लिमिट को 30 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया। मतलब राज्य अपने जरूरी काम में कटौती नहीं करें।

अन्य उपाय भी
रिजर्व बैंक ने कुछ और उपायों की भी घोषणा की। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बेसल गाइडलाइन्स के तहत एनबीएफसी को ऐसेट क्लासिफिकेशन में 90 दिन का मोरेटोरियम पीरियड मिलेगा। बैंकों को फिलहाल लाभांश वितरण करने से मुक्ति मिल गई है।

आरबीआई के अहम फैसले

  • केंद्रीय बैंक ने राज्यों के डब्ल्यूएमए लिमिट में 60 फीसदी की बढ़ोतरी की।
  • आरबीआई ने एनपीए नियमो में बैंकों को 90 दिन की राहत दी।
  • मोराटोरिमय की अवधि को एनपीए में नहीं गिना जाएगा।
  • बैंक अगले निर्देश तक अपने मुनाफे से डिविडेंड नहीं देंगे।
  • सिडबी को 15 हजार करोड़, एनएचबी को 10 हजार करोड़ और नाबार्ड को 25 हजार करोड़ मिलेंगे।
  • केंद्रीय बैंक ने कहा कि सेक्टर्स को नकदी मिलने के एक महीने के भीतर निवेश करना होगा।
  • रिवर्स रेपो रेट में 0.25% की कटौती की गई, यह 4% से घटकर 3.75% हुआ।
  • कामर्शियल रियल्टी प्रोजेक्ट लोन को एक साल का एक्सटेंशन मिला।
  • आरबीआई ने 2021-22 में 7.4 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जताया।
  • सिस्टम में लिक्वडिटी को मेंटेन किया जाए।
  • बैंक क्रेडिट फ्लो को फैसिलिटेट और बढ़ाया जाए।
  • फाइनेंशियल दवाब को कम करने पर जोर।
  • मार्केट्स में फॉर्मल वर्किंग शुरू हो सके।