नई दिल्ली। 15 से 20 जुलाई के आसपास बुआई के समाचार जैसे आयेंगे, वैसे बाजार की चाल रहेगी। यदि बोआई 120/125 प्रतिशत होती है तो बाजार में स्टॉकिस्टों तथा इन्वेस्टरों की बड़ी घबराहट भरी बिकवाली 15 जुलाई के बाद आ सकती है। अगर हल्दी की बुआई की 80/85 प्रतिशत होने की रिपोर्ट आयी तो 1 अगस्त से हल्दी में तेजी भी शुरू हो सकती है। इसलिए इस समय भगवान का नाम लेकर तेल और तेल की धार देखें। क्योकि हल्दी का स्टॉक काफी बड़ा है। विशेषकर बांग्लादेश भेजी गयी 48 लारी के LC तथा मार्को जो 3-4 दिन में आ जाते हैं। वह इस समय 45 दिन होने के बाद भी नहीं आये हैं।
माल भेजने वाले निर्यातक तथा आढ़तियों को रुपयों की तंगी हो गयी है। दूसरी तरफ बांग्लादेश में हल्दी के भाव गत 3 हफ्ते 600 रुपये प्रति क्विंटल घट गए हैं। ऐसे समाचार से फसे हुए कारोबारियों का हौसला टूटता है। मुंबई सांगली और इरोड के 4 बड़े अनुभवी कारोबारी बोल रहे हैं कि ऐसी परिस्थिति में हल्दी के भाव में नए सिरे से 500 रुपये क्विंटल की गिरावट भी हो सकती है और जुलाई-अगस्त वायदा 70 रुपये से नीचे भी जा सकता है।
घरेलू बाजार में हल्दी का इतना कम भाव होने के बावजूद 1 जनवरी से 31 मई 2021 तक 5 महीने में केरल की पार्टियों ने एक लाख बोरी से अधिक हल्दी विदेश से आयात की है। क्योंकि इसमें करक्युमिन की मात्रा काफी अधिक थी। यदि हमारे किसानों को हाई करक्युमिन वाली हल्दी का बीज सरकार द्वारा दिया जाये तो कोचीन के ओलियोरेजिन फैक्टरी वाले हर वर्ष दो लाख बोरी जो आयात करते हैं। वह कम किया जा सकता है। जिससे देश की विदेशी मुद्रा बचे और किसानों को पैसा भी अधिक मिले।
हल्दी का 93-94 वाला जुलाई वायदा 75 रुपये के आसपास चल रहा है। उसमें पहले तेजड़ियों ने तेजी की हवा फैलाकर स्वयं ऊँचे भाव पर वायदा बेच दिया और अब गांव के गले ऊंचे भाव का माल पहना दिया। इरोड – सेलम मैसूर में भी 2021 में 9 लाख से 10 लाख बोरी जितनी फसल आई थी। वहां भी भूगर्भ जलस्तर बढ़ने से इस वर्ष लगभग 12 से 13 लाख बोरी की बुआई होगी ऐसा अनुभवियों को लग रहा है। 15 जून से 30 जुलाई हल्दी की बिक्री सामान्य रूप से कम रहती है।