मां-बेटी ने समझा थैलेसीमिक बच्चों का दर्द, किया रक्तदान

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कोटा। शहर में थैलेसीमिक (Thalassemic) बच्चों को लगातार रक्त चढ़ाया जाता है। ये बच्चे कभी कभी तो 7 दिन में भी रक्त की कमी महसूस करके ब्लड बैंक उम्मीद लेकर आते हैं। 18 वर्षीय कृतिका ने जब ये जानकारी ली तब उसकी आँखों मे भी आँसू छलक उठे।

मंजर था एमबीएस ब्लड बैंक में टीम जीवनदाता के द्वारा चलाये जा रहे थैलेसीमिक रक्तमित्र अभियान का। लायंस क्लब के ज़ोन चेयरमैन व टीम जीवनदाता के संयोजक बताते हैं कि 25 थैलेसीमिक बच्चों को गोद लेकर अब इस अभियान की शुरुआत हुई है। विशेषतः युवाओं के लिये रक्त की आवश्यकता व इसके महत्व के बारे में सुनकर काफी जिज्ञासा व जागरूकता बढ़ रही है।

शनिवार को टीम जीवनदाता के सदस्य नीतिन मेहता, मनीष माहेश्वरी, एडवोकेट महिन्द्रा वर्मा, विपुल गुप्ता, जोंटी नायक ,सीए मनीष बंसल व भुवनेश गुप्ता ने मिलकर एमबीएस में थैलेसीमिक बच्चों के लिए ज़ारी थैलेसीमिक रक्तमित्र अभियान से 15 युवाओं को जोड़ा। सभी ने रक्तदान किया। इस रक्त को थैलेसीमिक बच्चों को चढ़ाने की प्रक्रिया व बार बार चढ़ाने की अवधि के बारे में एमबीएस ब्लड बैंक के एचओडी डॉ. एचजी मीणा व इंचार्ज डॉ. शैलेन्द्र वशिष्ठ ने विस्तार से बताया।

रक्तदान करने वाले में सबसे कम उम्र की 18 वर्षीय बेटी कृतिका गुप्ता थी व एक मां सीमा ने थैलेसीमिक की व्यथा सुनकर रक्तदान किया और नियमित रक्तदान का संकल्प लिया। डॉ. मीणा ने कहा कि लोगों में स्वेच्छिक़ रक्तदान का ज़ज़्बा धीरे धीरे बढ़ रहा है । युवाओं ने जाना कि लगातार रक्त चढ़ाकर जीने वाले बच्चों के लिए रक्त वाकई संजीवनी का कार्य कर रहा है।

इन्होंने किया रक्तदान, बने रक्तमित्र
रक्तदान करने वालो में राहुल गौतम, सीमा वर्मा, कौशल गुप्ता, रविकुमार, भव्य पोरवाल, कृतिका गुप्ता, अभिनव सक्सेना, हरिराम गुर्जर, अनूप राठौड़, निर्मल गुप्ता, शुभम शाक्य प्रमुख थे।

जुड़ने लगे है युवा, बढ़ने लगा है करवा
अभियान के संजोजक भुवनेश गुप्ता बताते है कि अब चारों और लोगो को मोटिवेट करने के लिए चर्चा की जा रही है। थैलेसीमिक बच्चों की मदद करने का भाव युवाओं में बढ़ चढ़कर आ रहा है और इस अभियान में बच्चों को गोद लेने के लिये काफी लोग तैयार है। गुप्ता बताते है कि एक बार 25 बच्चों का सिस्टम बनते ही 50 बच्चों की और टीम के सदस्य बढ़ेंगे। इससे स्वेच्छिक़ रक्तदान की भावना में भी वृद्धि होगी।