नई दिल्ली। केंद्र सरकार का कहना है कि देश भर में इस समय कुछ प्रमुख दालों की कीमतों में गिरावट का रूख है। सरकार के मुताबिक हाल ही में जमाखोरी रोकने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिल कर कुछ कदम उठाए गए हैं। उसी के बाद अरहर, मूंग और उड़द की दालों की कीमतें या तो स्थिर हो गई हैं या घट रही हैं।
केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि जमाखोरी रोकने के लिए राज्य सरकारों के साथ किये गये समन्वित प्रयासों के बाद अरहर, मूंग दाल और उड़द – जैसी दालों की खुदरा कीमतों में गिरावट का रुख बना है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘अरहर, मूंग दाल और उड़द की खुदरा कीमतें इस साल अब या तो स्थिर हो गई हैं या फिर इनमें गिरावट का रुख देखा जा रहा है।’’
तीन दालों की कीमतें 0.95 फीसदी बढ़ी
मंत्रालय के अनुसार, इस साल अप्रैल से 16 जून 2021 के दौरान इन तीन दालों की कीमतों में औसत वृद्धि पिछले तीन महीनों (जनवरी-मार्च, 2021) की तुलना में 0.95 फीसदी थी। मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2020 की इसी अवधि में 8.93 फीसदी की वृद्धि और वर्ष 2019 की समान अवधि में 4.13 फीसदी की वृद्धि की तुलना में मौजूदा वृद्धि कहीं कम है।
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल एक जनवरी से 18 जून के बीच अरहर और उड़द के दाम में 10 रुपये किलो की बढ़ोतरी हुई है। मौजूदा समय में, अरहर और उड़द, दोनों की खुदरा कीमतें एक जनवरी के 100 रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले 110 रुपये प्रति किलोग्राम पर चल रही हैं। वहीं वर्ष की शुरुआत से मूंग दाल की खुदरा कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित बनी हुई है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि उसने राज्य सरकारों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि दालों की कीमतें उचित स्तर पर बनी रहें। केंद्र ने राज्यों से दलहन व्यापारियों और विभिन्न अंशधारकों को एक पोर्टल पर अपने स्टॉक का विवरण घोषित करने का निर्देश देने के लिए कहा था और इससे सकारात्मक परिणाम मिले। इसके अलावा, सरकार ने चालू 2021-22 के वित्तीय स्थिरीकरण कोष में दलहन बफर के लक्षित आकार को बढ़ाकर 23 लाख टन कर दिया।
चना, मसूर और मूंग की खरीद जारी
सरकार ने कहा है कि इस समय चना, मसूर और मूंग की खरीद जारी है। उपभोक्ता मामलों के विभाग की ओर से दालों की खरीद के लिए, सहकारी संस्था नेफेड राज्य सरकार की एजेंसियों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी है। केंद्र सरकार अपने बफर स्टॉक से राज्यों को कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए भी दलहन उपलब्ध करा रही है। साथ ही दालों की कीमतों को नरम रखने के लिए खुदरा बाजार में भी हस्तक्षेप किया है।