नई दिल्ली। RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रीपो रेट घटाने के कुछ ही घंटों बाद चार सरकारी बैंकों पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक और यूको बैंक ने अपने लोन की ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया है। इन बैंकों ने अपनी रीपो लिंक्ड ब्याज दरों (RBLR) में 35 बेसिस प्वाइंट तक की कमी की है। इससे नए और पुराने दोनों तरह के कर्जदारों को राहत मिलेगी।
किस बैंक ने कितनी घटाई ब्याज दर:
- Indian Bank ने अपनी RBLR को 9.05% से घटाकर 8.70% कर दिया है। यह नई दर 11 अप्रैल से लागू होगी।
- PNB ने ब्याज दर 9.10% से घटाकर 8.85% की है, जो 10 अप्रैल से लागू हो गई है।
- Bank Of India ने भी अपनी RBLR को 9.10% से घटाकर 8.85% कर दिया है। यह बदलाव RBI की घोषणा वाले दिन से ही लागू हो गया।
- UCO Bank ने अपनी रीपो लिंक्ड रेट को घटाकर 8.80% कर दिया है, जो गुरुवार से लागू हो जाएगी।
ब्याज दरों में कटौती के बावजूद बैंक डिपॉजिट रेट्स को कम करने में धीमे नजर आ रहे हैं। इसकी अहम वजह है कि बैंकों को फंड जुटाने में अब भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ग्रुप चीफ इकनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने बताया, “पॉलिसी रेट्स में बदलाव का असर सेविंग्स डिपॉजिट रेट्स पर अब तक बहुत कम देखने को मिला है।
फरवरी में RBI ने रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी, जिसके बाद पब्लिक सेक्टर बैंकों ने डिपॉजिट रेट्स में सिर्फ 6 बेसिस प्वाइंट की कटौती की। विदेशी बैंकों ने इसे 15 बेसिस प्वाइंट तक घटाया, लेकिन प्राइवेट बैंकों ने उल्टा 2 बेसिस प्वाइंट बढ़ा दिए।”
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक डिपॉजिट रेट्स में बड़ी कटौती नहीं होती, तब तक बैंकों की MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) में भी कमी की संभावना कम है, क्योंकि यह सीधे फंडिंग कॉस्ट से जुड़ी होती है। बड़े और मिड साइज कंपनियों को दिया जाने वाला लोन आमतौर पर MCLR से जुड़ा होता है।
आरबीआई ने रीपो रेट में कटौती की
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बुधवार को रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। अब यह 6 फीसदी रह गया है। लगातार दूसरी बार RBI ने रीपो रेट में कटौती की है। साथ ही, केंद्रीय बैंक ने अपने नीतिगत रुख को ‘समर्थनकारी’ (Accommodative) कर दिया है, जिससे आगे और कटौती की संभावना बनी हुई है।
RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ का अनुमान भी घटाया है। फरवरी में यह अनुमान 6.7 फीसदी था, जिसे अब घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया है। महंगाई का अनुमान भी घटा है। पहले FY26 के लिए खुदरा महंगाई दर 4.2 फीसदी रहने का अनुमान था, जिसे अब 4 फीसदी कर दिया गया है।
आरबीआई का कहना है कि महंगाई के मोर्चे पर “निर्णायक सुधार” देखने को मिल रहा है। FY26 के दौरान महंगाई दर इसके लक्ष्य यानी 4 फीसदी से नीचे रह सकती है। इसी वजह से अब RBI का फोकस ग्रोथ को सपोर्ट करने पर है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जारी टैरिफ वॉर जैसी अनिश्चितताएं भारत की ग्रोथ पर असर डाल सकती हैं, लेकिन भारत की इनसे प्रभावित होने की आशंका कम है। उन्होंने कहा, “अनुमानों के मुताबिक अब इस बात को लेकर ज्यादा भरोसा है कि हेडलाइन महंगाई अगले 12 महीनों में 4 फीसदी के लक्ष्य के आसपास टिकेगी।”
मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर चुनौतीपूर्ण माहौल के कारण भारत की ग्रोथ अब भी रिकवरी के रास्ते पर है। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में प्रदर्शन उम्मीद से कमजोर रहा था। ऐसे हालात में, जब दुनिया भर की इकॉनमी दबाव में है, महंगाई का अनुमान फिलहाल संतोषजनक है और ग्रोथ भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। इसलिए, मौद्रिक नीति समिति (MPC) के लिए यह जरूरी है कि वह विकास को सपोर्ट देना जारी रखे।