भारत को यूरोप में बासमती के टाइटल के मालिकाना हक पर पाक का विरोध

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नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच अब बासमती को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। भारत ने बासमती के विशेष ट्रेडमार्क (Protected Geographical Indication) के लिए यूरोपीय यूनियन में आवेदन किया है। इससे भारत को यूरोपीय यूनियन में बासमती के टाइटल का मालिकाना हक मिल जाएगा लेकिन पाकिस्तान इसका विरोध कर रहा है।

पीजीआई का दर्जा ऐसे खास भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े उत्पादों के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार मुहैया कराता है जहां इसके उत्पादन, प्रसंस्करण या तैयारी का कम से कम एक चरण संपन्न होता है। भारत को दार्जिलिंग चाय, कोलंबिया को कॉफी और कई फ्रेंच उत्पादों को पीजीआई टैग मिला हुआ है। ऐसे उत्पादों के नकल को लेकर कानूनी सुरक्षा मिली होती है और बाजार में इनकी कीमत भी अधिक होती है।

दुनिया में केवल भारत और पाकिस्तान ही बासमती का निर्यात करते हैं। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, जिससे सालाना इनकम 6.8 अरब डॉलर है। इसमें पाकिस्तान 2.2 अरब डॉलर के साथ चौथे स्थान पर है। पाकिस्तान ने यूरोपीय कमीशन में भारत के पीजीआई हासिल करने के भारत के कदम का विरोध किया है। लाहौर की अल-बरकत राइस मिल्स के को-ऑनर गुलाम मुर्तजा ने कहा, ‘यह हम पर परमाणु बम गिराने जैसा है। वह हमारे बाजारों को हड़पना चाहता है।’

पाकिस्तान ने पिछले तीन वर्षों में यूरोपीय संघ को बासमती निर्यात बढ़ाया है। पाकिस्तान ने भारत की कठिनाइयों का फायदा उठाते हुए कड़े यूरोपीय कीटनाशक मानकों को पूरा किया है। यूरोपीयन कमीशन के अनुसार, अब पाकिस्तान, क्षेत्र की लगभग 300,000 टन वार्षिक मांग के दो-तिहाई हिस्से की आपूर्ति करता है। पाकिस्तान राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मलिक फैसल जहांगीर का दावा है कि पाकिस्तानी बासमती अधिक जैविक और बेहतर क्वालिटी की है।

दूसरी ओर भारत का कहना है कि उसने अपने आवेदन में हिमालय की तलहटी में उगाए जाने वाले विशिष्ट चावल के एकमात्र उत्पादक होने का दावा नहीं किया था। लेकिन फिर भी पीजीआई का टैग मिलने से उसे यह मान्यता मिल जाएगी। इंडियन राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि भारत और पाकिस्तान लगभग 40 वर्षों से अलग-अलग बाजारों में बिना विवाद के बासमती निर्यात कर रहे हैं। दोनों स्वस्थ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि पीजीआई कुछ बदलेगा।