नई दिल्ली। देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कोरोना टेस्टिंग में CT स्कोर को लेकर नई बहस चल रही है। आरटी-पीसीआर (RT-PCR)टेस्ट में मरीज का कोरोना पॉजिटिव या नेगेटिव होना सायकल थ्रेशहोल्ड यानी सीटी (CT) वैल्यू के आधार पर तय होता है। आरटी-पीसीआर टेस्ट के दौरान CT वैल्यू स्वैब सैंपल में कोरोना के कारक SARS-Cov-2 का पता लगाता है।
.CT वैल्यू क्यों महत्वपूर्ण है
CT स्कोर स्वैब सैंपल में मौजूद वायरल लोड को उल्ट समानुपाती होता है। यानी यदि CT काउंट कम है तो वायरल जेनेटिक मैटिरियल की सघनता अधिक होगी। यदि CT स्कोर काउंट अधिक है तो वायरल जेनेटिक मैटिरियल की सघनता कम होगी। CT काउंट यदि 35 से कम है उसे कोरोना पॉजिटिव माना जाता है। यदि CT काउंट 35 से अधिक है तो उसे कोरोना नेगेटिव माना जाता है।
सीटी काउंट को लेकर दुविधा भी
एकेडमिकली CT वैल्यू संक्रामकता को दर्शाता है। 12 CT स्कोर वाला पेशेंट बहुत अधिक संक्रमित होता है। उसके जरिये संक्रमण के फैलने की आशंका बहुत अधिक रहती है। 32 CT स्कोर वाला पेशेंट भी कोरोना पॉजिटिव होता है लेकिन उसका वायरल लोड कम होता है और उसके संक्रमण फैलाने का आशंका तुलनात्मक रूप से कम होती है। लेकिन भारत में CT स्कोर की तुलना गंभीरता से की जाती है।
आईसीएमआर ने भी साफ की स्थिति
आईसीएमआर का कहना है कि कुछ रिसर्चर और डॉक्टरों ने सीटी वैल्यू का मतलब संक्रमण ज्यादा और बीमारी गंभीर होना मान लिया। ICMR ने साफ किया कि सीटी वैल्यू के इस संख्या का बीमारी से कोई मतलब नहीं है, ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है। यही नहीं, लैब में जांच करने वाले एक्सपर्ट और मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर भी आईसीएमआर के बयान से इत्तेफाक रखते हैं