नई दिल्ली। जस्टिस एनवी रमना अगले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया होंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। वर्तमान सीजेआई एसए बोबडे 23 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं। सीजेआई ने ही केंद्र सरकार से जस्टिस रमना के नाम की सिफारिश की थी। जिसके बाद केंद्र ने राष्ट्रपति को उनका नाम बढ़ाया। जस्टिस रमना भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश होंगे।
जस्टिस रमना का कार्यकाल 26 अगस्त, 2022 तक है। वह आंध प्रदेश हाई कोर्ट के पहले ऐसे जज होंगे जो सीजेआई बनेंगे। तेलुगू भाषियों की बात करें तो वह दूसरे होंगे क्योंकि के सुब्बा राव भी चीफ जस्टिस रह चुके हैं।
कौन हैं जस्टिस रमना?
27 अगस्त, 1957 को जन्मे जस्टिस रमना सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई बोबडे के बाद सबसे सीनियर हैं। आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में एक किसान परिवार में पले-बढ़े। 10 फरवरी 1983 को उन्होंने एक वकील के तौर पर अपना नामांकन कराया था और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। उनको 27 जून 2000 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का परमानेंट जज बनाया गया था। 2 सिंतबर 2013 को उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया और 17 फरवरी 2014 को वह सुप्रीम कोर्ट में जज बने।
जगन मोहन रेड्डी ने लगाए थे गंभीर आरोप
आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने सीजेआई बोबडे से जस्टिस एनवी रमना की शिकायत की थी। रेड्डी का कहना था कि जस्टिस रमना पूर्व सीएम चंद्रबाबू संग मिलकर सरकार गिराने के प्रयास कर रहे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन-हाउस जांच के बाद इस शिकायत को खारिज कर दिया और आरोपों को झूठा, तुच्छ, आधारहीन, गलत करार देते हुए इसे न्यायपालिका को ‘धमकाने’ का प्रयास बताया।
वरिष्ठतम जज बनते हैं सीजेआई
नियमों के अनुसार, सबसे सीनियर जज को प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किया जाता है। कानून मंत्री सही वक्त पर वर्तमान सीजेआई से उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगते हैं। सीजेआई से सिफारिशी चिट्ठी मिलने के बाद मंत्री इसे प्रधानमंत्री के सामने रखते हैं जो नियुक्ति को लेकर राष्ट्रपति को सलाह देते हैं।