सरसों के अच्छे उत्पादन के बावजूद इस बार खाद्य तेल सस्ता नहीं होगा

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मुकेश भाटिया
कोटा।
इस बार देश में सरसों का अच्छा उत्पादन हुआ है। बावजूद इसके अभी खाने के तेल के भाव में कमी की उम्मीद कम ही है। पिछले कुछ महीनों में खाने के तेल के भाव में भारी वृद्धि देखने को मिली है। हालांकि इस बार देश में सरसों का अच्छा उत्पादन हुआ है बावजूद इसके अभी खाने के तेल के भाव में कमी की उम्मीद कम है। आने वाले समय में खाने के तेल के भावों में इजाफा हो सकता है।

इसके लिए आपको तैयार रहना होगा। हाल के दिनों में एक या दो मौके को छोड़ दें तो तेल के भाव में भी काफी समय से बढ़ोतरी हो रही है। इसका असर खाने के तेल पर भी पड़ रहा है। दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाने के तेल के भावों में इस महीने करीब 10 फीसदी तक की वृद्धि देखने को मिली है। घरेलू बाजार की बात करें तो खाने के तेल के भाव पहले से 50 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। जिसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है।

मलेशिया में पाम ऑयल के भाव रिकॉर्ड लेवल पर
मलेशिया के बाजारों में पाम ऑयल के भाव रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच चुके हैं। 2008 के बाद पहली बार एक टन पाम ऑयल के भाव 969 यूएस डॉलर के करीब जा पहुंचे हैं। बता दें कि मलेशिया पाम ऑयल का बड़ा उपजाऊ देश है। जानकारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव बढ़ने का असर घरेलू बाजार पर भी पड़ेगा।

भारत 70 फीसदी खाने का तेल करता है आयात
मलेशिया में पाम ऑयल के भाव प्रति टन एक हजार डॉलर के करीब है, लेकिन अन्य बाजारों में यह 1040 से लेकर 1100 डॉलर प्रतिटन तक पहुंच गई है। वहीं सोयाबीन ऑयल की बात करें तो इसके भाव 1190 से बढ़कर 1270 डॉलर प्रतिटन पहुंच गई हैं। दोनों खाने के तेलों के बढ़ते भाव का असर भारत पर भी जल्द ही दिखाई देगा। इसका प्रमुख कारण यह है कि भारत अपनी जरूरत का 70 फीसदी खाने का तेल अन्य देशों से आयात करता है।

भारत में सरसों के अच्छे उत्पादन का अनुमान
भारत में इस बार सरसों की फसल काफी अच्छी हुई है। ऐसे में सरकार को रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है हालांकि रिकॉर्ड उत्पादन का असर दाम पर नहीं पड़ रहा है। और सरसों रिकॉर्ड भाव पर बिक रहा है। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नैम) यानी ऑनलाइन मंडी के मुताबिक 26 मार्च को राजस्थान की चाकसू मंडी में सरसों का प्रति क्विंटल भाव 6781 रुपये था। यह अपने आप में रिकॉर्ड है। उधर भरतपुर मंडी में इसका औसत रेट 5500 रुपये क्विंटल का चल रहा है। किसान सरकार को बेचने की बजाय सीधे व्यापारियों को सरसों बेच रहे हैं। क्योंकि उन्हें अच्छे भाव मिल रहे हैं।

बाहर भीतर की खबरों रिपोर्ट के मुताबिक सरसों में फिलहाल मंदे की उम्मीद नहीं है। सोयाबीन के भावों में तेजी के कारण रिफाइंड बनाने वाली मिलें भी सरसों तेल की खरीद कर रही हैं। अगर ये खरीद ही ऊंचे भाव पर करेंगी तो फिर उत्पादन का खर्च जोड़कर बाजार में खाने का तेल महंगा ही मिलेगा। ऊपर से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी का असर भी इनके भाव पर पड़ेगा। ऐसे में जानकार कह रहे हैं कि सरसों के अच्छे उत्पादन के अनुमान के बावजूद खाने के तेल के भाव में राहत की उम्मीद फिलहाल न के बराबर है।