राज. बजट: मंडी शुल्क कटौती के बावजूद पड़ौसी राज्यों से ज्यादा: भाकिसं

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कोटा। भारतीय किसान संघ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से बुधवार को पेश किए गए बजट को उम्मीद जगाने वाला बताया है। प्रदेश महामंत्री कैलाश गैंदोलिया तथा प्रान्त महामंत्री जगदीश कलमंडा ने कहा कि भारतीय किसान संघ की ओर से गत एक वर्ष से जिस मांगपत्र पर आन्दोलन किया जा रहा था। उनमें से कुछ पर सरकार की ओर से की गई घोषणाएं स्वागत योग्य कदम है। यदि ये सभी घाषणाएं पूर्ण होती हैं तो किसान को लाभ मिलेगा।

संभाग के प्रचार प्रमुख आशीष मेहता ने कहा कि मंडी शुल्क में कटौती, कृषि का अलग से बजट, कृषि विद्युत बिल पर अनुदान, कृषि कनेक्शन जारी करने, परवन सिंचाई समेत पूर्वी राजस्थान परियोजना, ब्याज मुक्त ऋण जैसी मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ की ओर से लगातार सरकार से मांग की जा रही थी। जिन्हें लेकर मुख्यमंत्री की ओर से की गई घोषणाएं स्वागत योग्य हैं।

पुरानी घोषणाएं अधूरी : उन्होंने कहा कि भारतीय किसान संघ की मांग के अनुरूप कृषि बिल पर अनुदान बढाकर 12 हजार रुपये किया गया है। लेकिन इन कनेक्शनों को श्रेणी में नहीं बांटकर सभी कनेक्शनों पर अनुदान दिया जाना चाहिए। गत बजट में सरकार की ओर से 100 नई मंडियां बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन एक भी नहीं बनी। इसी प्रकार, सरकार ने 5 लाख तक ब्याज मुक्त ऋण देने की घोषणा की है।

जबकि सहकारी के माध्यम से केवल 40 हजार का ही लोन मिलता है। जिसे प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत बढाया जाता है। इस गति से किसान को 5 लाख का लोन लेने में कईं वर्ष गुजर जाएंगे। ऐसे में सरकार की घोषणाएं उत्साह तो बढाती हैं, लेकिन धरातल पर न उतरने पर निराश भी करती हैं। सरकार को ऋण देने के लिए लिमिट को भी बढाना होगा, तो ही इस घोषणा का लाभ मिल पाएगा।

किसान संघ ने मांग की थी: जिलाध्यक्ष गिरीराज चौधरी ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के तहत नौनेरा बैराज के लिए 320 करोड और परवन सिंचाई परियोजना के लिए 885 करोड की राशि दी गई है। जिसकी भारतीय किसान संघ ने मांग की थी। सरकार की ओर से पेंडिंग तीन लाख कृषि कनेक्शनों के मुकाबले केवल 50 हजार की घोषणा अपर्याप्त है।

बिजली बिल में राहत नहीं : फूड पार्क के पहले चरण में कोटा संभाग का कोई जिला नहीं होना भी निराश करता है। किसानों को प्रतिमाह के बजाय दो माह में बिजली का बिल दिए जाने की घोषणा भी न्यायोचित नहीं है। क्योंकि किसानों के पास फसल आने पर ही बिल की राशि जमा की जा सकती है। ऐसे में बिल छह माह में आता तो ठीक रहता।