35 रुपये लीटर के पेट्रोल पर 65 रुपए टैक्स वसूल रही मोदी सरकार

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दिनेश माहेश्वरी
कोटा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों का ठीकरा पुरानी सरकार पर फोड़ा है। हालांकि हकीकत यह है कि मोदी सरकार 35 रुपये लीटर के पेट्रोल पर 65 रुपए का टैक्स वसूल रही है। मनमोहन सिंह की सरकार 110 डॉलर प्रति बैरल पर कच्चे तेल खरीदती थी। तब वह भारत में 71 रुपए लीटर बेचती थी। मोदी सरकार 64 डॉलर में खरीद कर 100 रुपए में बेच रही है। हालांकि मोदी सरकार 35 डॉलर में जब खरीदती थी तब भी 80 रुपए के पार पेट्रोल बेचती थी।

पेट्रोल और डीजल क्रूड (जमीन से निकलने वाला कच्चा तेल) से बनता है। इसलिए एक भोलाभाला आदमी सोचता है कि क्रूड की कीमत घटेगी, तो पेट्रोल-डीजल भी सस्ता होगा और क्रूड की कीमत बढ़ेगी, तो पेट्रोल-डीजल भी महंगा होगा। लेकिन आज की जमीनी हकीकत यह है कि क्रूड तो सस्ता है लेकिन पेट्रोल-डीजल का प्राइस उस स्तर पर जा पहुंचा है, जहां यह पहले कभी नहीं पहुंचा था।

2014 में कच्चा तेल 110 डॉलर प्रति बैरल था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 2014 में पहली बार सत्ता में आए थे, उस दिन क्रूड का ग्लोबल रेट करीब 110 डॉलर प्रति बैरल था और दिल्ली में पेट्रोल 71.41 रुपए प्रति लीटर का बिक रहा था। गुरुवार को क्रूड 64 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा था। साधारण गणित लगाकर देखें, तो क्रूड के इस प्राइस पर दिल्ली में पेट्रोल की कीमत करीब 42 रुपए प्रति लीटर होनी चाहिए। लेकिन देश में पेट्रोल करीब 90 रुपए और डीजल करीब 80 रुपए प्रति लीटर के प्राइस पर बिक रहा है। ऐसा क्यों? पेट्र्रोल-डीजल को महंगा बनाने के लिए आखिर कौन है मुख्य जिम्मेदार? इसी बात को हम यहां समझेंगे।

पेट्रोल के प्राइस में करीब 60% हिस्सा टैक्स का
पेट्रोल-डीजल की जो कीमत हम पेट्रोल पंप पर देते हैं, वह कैसे तय होता है? दिल्ली में पेट्रोल के प्राइस में करीब 60% हिस्सा टैक्स का होता है। सिर्फ करीब 35% हिस्सा बेस प्राइस का होता है, जो क्रूड के ग्लोबल प्राइस से तय होता है। यानी, क्रूड का प्राइस घटेगा या बढ़ेगा, तो पेट्रोल के प्राइस का सिर्फ करीब एक तिहाई हिस्सा ही घटेगा या बढ़ेगा। बाकी करीब दो-तिहाई हिस्सा लगभग जस का तस रहेगा, क्योंकि वह तो टैक्स या अन्य शुल्क है। मतलब यह कि यदि पेट्रोल 100 रुपए का है, तो उसकी असली कीमत सिर्फ करीब 35 रुपए है और इसी पर ग्लोबल क्रूड प्राइस का असर होता है। इसके ऊपर करीब 65 रुपए का टैक्स वह अन्य शुल्क लगता है, जिस पर क्रूड प्राइस के घट-बढ़ का कमोबेश असर नहीं होता।

टैक्स के कारण महंगा पेट्रोल-डीजल
इसलिए पेट्रोल-डीजल का प्राइस यदि इतने ऊंचे स्तर पर जा पहुंचा है, तो इसका कारण सिर्फ केंद्र व राज्य सरकारों का टैक्स है। पिछले 3 साल में केंद्र व राज्य सरकारों ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर करीब 14 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं। महामारी के दौरान केंद्र ने पेट्रोल पर एक्साइज शुल्क को प्रति लीटर 19.98 रुपए से बढ़ाकर 32.98 रुपए कर दिया। इस दौरान डीजल पर भी एक्साइज शुल्क को 15.83 रुपए से बढ़ाकर 31.83 रुपए कर दिया गया। कई राज्यों ने भी इस दौरान दोनों ईंधनों पर वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) बढ़ा दिए।