कोटा। स्वायत शासन मंत्री शांति धारीवाल के ऐतिहासिक दरवाजाें के जीर्णोद्धार करवाने के फैसले पर राजस्थान हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस शिवकुमार शर्मा ने सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि इन पैसाें का शहर के विकास में खर्च किया जाना चाहिए। इसमें शहर में घर-घर में पानी की उपलब्धता, शहर काे गंदगी और अतिक्रमण मुक्त किया जाना चाहिए, क्याेंकि शिक्षा नगरी की इन दिनाें हालात बहुत खराब है।
अब दाेनाें निगमाें में एक ही पार्टी के महापाैर हैं ताे उनका दायित्व और बढ़ जाता है। शर्मा का कहना है कि स्वायत शासनमंत्री ने घोषणा की है कि वे शहर के मध्य में बने ऐतिहासिक दरवाज़ों का जीर्णोद्धार कराएंगे। ज़ाहिर है इस कार्य में करोड़ों रुपए खर्च होंगे। निस्संदेह ऐतिहासिक विरासत की सार-संभाल करना चाहिए। लेकिन, शहर की मूलभूत आवश्यकता वाली समस्याओं का त्वरित निस्तारण भी अपेक्षित है।
आवारा पशुओं की समस्या से भी निजात दिलाए प्रशासन
शर्मा का कहना है कि अगर कोई कोटा के भीतरी मोहल्लों का भ्रमण करता है तो उसे महसूस होगा कि कोटा सिकुड़ गया है। ऐसा इसलिए लगता है कि मकानों में बेतहाशा अतिक्रमण हो गए हैं। ये अतिक्रमण प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा किए या कराए गए हैं।
ऐसे अतिक्रमण तुरन्त प्रभाव से हटाए जाने चाहिए। वहीं, कोटा की सड़कें आवारा पशुओं की शरण स्थली बनी हुई हैं। ऐसे पशुओं के सम्बंध में नियम बने हुए हैं। जिनकी पालना करके कोटा के नागरिकों को आवारा पशुओं से निज़ात दिलानी चाहिए। कोटा ऐसी शिक्षा नगरी बन चुका है। जहां देश के कोने कोने से कोचिंग के लिए स्टूडेंट आते हैं। जिनके स्वास्थ्य, सुरक्षा का दायित्व भी कोटा ज़िला प्रशासन पर है।