कोरोना की वजह से बैंकों का NPA साल के अंत तक 11.5 % तक जा सकता है

0
902

मुंबई। कोरोना की महामारी के चलते देश के बैंकिंग सेक्टर के बुरे फंसे कर्ज (एनपीए) में तेज बढ़त होने की आशंका है। खबर है कि यह इस वित्त वर्ष के अंत तक 11 से 11.5 प्रतिशत तक हो सकता है। यह आशंका केयर रेटिंग ने जताई है। रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि यह एनपीए भारत के तुलनात्मक देशों के मामले में सबसे ज्यादा होगा।

बैंकिंग सेक्टर पहले से ही दबाव में है
केयर रेटिंग की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक बैंकिंग सेक्टर पहले से ही दबाव में है। पिछले साल से एनपीए में तेजी आई है। देश का एनपीए अनुपात अन्य देशों की तुलना में काफी ज्यादा है। वित्त वर्ष 2021 में बैंकों का कुल ग्रॉस एनपीए 11 से 11.5 प्रतिशत तक रह सकता है जो फिलहाल 8.5 प्रतिशत से ऊपर है। हालांकि यह वन टाइम रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम की तुलना में कम होगा।

कॉर्पोरेट लोन की वजह से बढ़ेगा एनपीए
रिपोर्ट के मुताबिक यह अनुमान है कि ग्रॉस एनपीए एसएमए 1 और एसएमए 2 कॉर्पोरेट लोन के तहत लिए गए मोरेटोरियम की वजह से भी बढ़ेगा। यह इसलिए क्योंकि यह रिस्ट्रक्चरिंग के लिए योग्य नहीं है। बता दें कि रिजर्व बैंक ने लोन के वन टाइम रिस्ट्रक्चरिंग की अनुमति बैंकों को दी थी। इसमें कॉर्पोरेट लोन, एमएसएमई लोन और पर्सनल लोन शामिल थे।

रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम के लिए सभी लोन योग्य नहीं हैं
बता दें कि कम रेटिंग वाले कॉर्पोरेट रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम के लिए योग्य नहीं हैं। यानी जिन कंपनियों में पहले से ही तनाव है और जो लिक्विडिटी का सामना कर रही हैं उनके लिए यह मुश्किल है। साथ ही एनपीए के बढ़ने में अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन भी एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

जुलाई में 8.5 प्रतिशत के एनपीए का अनुमान था
हालांकि आरबीआई के लोन रिस्ट्रक्चरिंग की घोषणा से पहले जुलाई में जारी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा गया था कि सभी शेडयूल्ड कमर्शियल बैंकों का ग्रॉस एनपीए बढ़कर 8.5 प्रतिशत 2020 मार्च तक हो सकता है। मार्च 2021 तक यह 12.5 प्रतिशत तक जा सकता है। हालांकि अगर मैक्रो इकोनॉमिक स्थितियां और बिगड़ती हैं तो यह एनपीए 14.7 प्रतिशत तक जा सकता है।

देश का वित्तीय सिस्टम तनाव में है
बता दें कि हाल में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि देश का वित्तीय सिस्टम इस समय तनाव में है लेकिन बैंकों को इस पर कोरोना में ध्यान देना चाहिए। बैंकों की पहली प्राथमिकता कैपिटल लेवल को बनाए रखने और उसे सुधारने पर होना चाहिए। उधर दूसरी ओर बैंकों के लोन मोरेटोरियम के मामले में सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा।

मोरेटोरियम की अवधि समाप्त
बता दें कि बैंकों द्वारा मोरेटोरियम की अवधि दूसरी तिमाही में समाप्त हुई है। इसका असर इस महीने आनेवाले बैंकों के रिजल्ट पर दिख सकता है। बैंकों को हालांकि उम्मीद है कि अगली कुछ तिमाहियों तक नए एनपीए कम होंगे, लेकिन जो पुराने कर्ज दिए गए हैं, उनके एनपीए में तेजी से बढ़त होगी। एनपीए में कुछ योगदान उन लोगों का भी है जो जान बूझकर कर्ज नहीं चुकाए हैं।