पेट्रोल पंप पर अब CNG और LPG की भी बिक्री होगी

0
939

नई दिल्ली। कोरोना संकट के कारण अब ई-कॉमर्स और होम डिलिवरी की तरफ हर बिजनेस का ध्यान गया है। इसी के मद्देनजर अब सरकार ग्राहकों की सुविधा के लिए डीजल के बाद अब पेट्रोल और सीएनजी जैसे ईंधनों की होम डिलिवरी शुरू करने पर विचार कर रही है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि सरकार नए रिटेलिंग मॉडल लाने पर भी विचार कर रही है जिससे सभी तरह के ईंधन जैसे पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, एलएनजी और एलपीजी एक ही जगह बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन (IOC) ने 2018 में मोबाइल डिस्पेंसर के जरिए डीजल की होम डिलिवरी शुरू की थी। हालांकि यह सेवा अभी केवल कुछ चुनिंदा शहरों में ही उपलब्ध है। ऐसा कहा जाता है कि ये ईंधन ज्यादा ज्वलनशील प्रकृति के हैं, इस कारण इनकी होम डिलिवरी काफी जोखिम भरा है। इसके लिए संबंधित प्राधिकरणों को सुरक्षित तरीके विकसित करने और उन्हें अप्रूव कराने की जरूरत पड़ेगी।

11 राज्यों में 56 नए सीएनजी स्टेशन का उद्घाटन करते हुए प्रधान ने कहा कि सरकार मोबाइल डीजल डिस्पेंसर की शुरुआत पहले ही कर चुकी है। उन्होंने कहा की सरकार इसका विस्तार करते हुए पेट्रोल और डीजल के लिए भी यह सुविधा चाहती है। प्रधान ने कहा कि लोग भविष्य में ईंधन की आपूर्ति घर पर प्राप्त कर सकेंगे। सरकार ऊर्जा की दक्षता, किफायत दर, सुरक्षा और उपलब्धता पर काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि जल्द ही ग्राहकों सभी तरह की ईंधन के लिए एक ही जगह जाना होगा। पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, एलएनजी, एलपीजी सभी तरह के ईंधन एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगे। मंत्री ने कहा कि ऑटोमोबाइल के लिए सीएनजी और रसोई घरों के लिए पाइप्ड कुकिंग गैस आपूर्ति के लिए सिटी गैस नेटवर्क से जल्द ही देश की 72 फीसदी आबादी जुड़ जाएगी।

शहरी गैस नेटवर्क में 2,200 से अधिक सीएनजी आउटलेट
अभी शहरी गैस नेटवर्क में 2,200 से अधिक सीएनजी आउटलेट शामिल हैं और पाइपलाइन के जरिए लगभग 61 लाख लोगों तक रसोई में पीएनजी की आपूर्ति की जा रही है। प्रधान ने कहा कि देश गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पीएनजी के उपभोक्ताओं की संख्या 2014 में 25.4 लाख थी, जो अब बढ़कर 60.68 लाख हो गयी है। औद्योगिक गैस कनेक्शन 28 हजार से बढ़कर 41 हजार हो गए हैं। इसी तरह सीएनजी वाहनों की संख्या 22 लाख से बढ़कर 34 लाख हो गई है।