राजस्थान में स्टोन उद्योग लौटा पटरी पर, श्रमिक लौटना शुरू

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जयपुर। राजस्थान की पत्थर (स्टोन) इकाइयों में काम शुरू हो गया है। इससे स्थानीय श्रमिकों व कारीगरों को काम मिलने की उम्मीद है।अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया है कि राज्य के सिकंदरा, कोटा, झालावाड़, करौली, बयाना, धौलपुर, जैसलमेर आदि स्थानों पर परंपरागत पत्थर आधारित अधिकांश इकाइयों में काम शुरू हो गया है।

उन्होंने बताया कि पत्थर क्षेत्र में अधिकांश संख्या में स्थानीय श्रमिक होने से स्थानीय स्तर पर ही श्रमिक रोजगार से जुड़ने लगे हैं। उन्होंने बताया कि पत्थर इकाइयों में गेंगसा, कटर मशीनों की घनघनाहट सुनाई दे रही है। राजस्थान के पत्थर उद्योग की समूचे विश्व में पहचान के साथ ही मांग भी है। अग्रवाल ने बताया कि दौसा के सिकंदरा में पत्थर का काम कर रही आधी से अधिक इकाइयों में छेनी-हथोड़े की आवाज आनी शुरू हो गयी है।

उन्होंने बताया कि करौली में हल्के लाल पत्थर पर आकर्षक जाली-झरोखे, छतरियां, मूर्तियां, फव्वारे, डिजाइनर खंबे और पत्थर के अन्य सजावटी उत्पादों को गढ़ने का काम शुरू हो गया है। इसी तरह से करौली में परंपरागत बलुआ पत्थर की 150 में से 140 इकाइयों में चौखट, जाली-झरोखे, स्लैब आदि का काम शुरु हो गया है। भरतपुर, बयाना के बंशी पहाड़पुर पत्थर के रीको औद्योगिक क्षेत्र, आईआईडी और आसपास की करीब 200 इकाइयों में से 160 इकाइयों में काम हो रहा है।

धौलपुर की 85 पत्थर की इकाइयां भी परिचालन में आ गयी हैं। उन्होंने कहा कि कोटा की विश्वविख्यात पत्थर इकाइयों में उत्पादन शुरू होने से क्षेत्र के श्रमिकों को रोजगार मिलने लगा है। उन्होंने बताया कि कोटा पत्थर की झालावाड़ की 400 इकाइयों और कोटा में 260 इकाइयों में काम शुरू हो गया है। पत्थर उद्योग से अधिकांश स्थानीय लोग ही जुड़े हुए हैं। ऐसे में उम्मीद है कि स्थानीय स्तर पर रोजागर के बेहतर अवसर होने से श्रमिकों का गांवों की ओर पलायन रुकेगा।

उद्योग आयुक्त मुक्तानन्द अग्रवाल के अनुसार राज्य सरकार के योजनाबद्ध प्रयासों से राज्य में औद्योगिक गतिविधियां सामान्य होने की दिशा में बढ़ने लगी है और 35 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां फिर से काम करने लगी हैं। अग्रवाल ने बताया कि कपड़ा क्षेत्र, तेल क्षेत्र, सीमेंट क्षेत्र, आटा-दाल, मसाला मिलों, फार्मा क्षेत्र के साथ ही पत्थर क्षेत्र की इकाइयों का आरंभ होना प्रदेश की औद्योगिक गतिविधियों के सामान्य स्तर की ओर बढ़ने का संकेत है।