कोटा। Industrial Academic Conference-2025: कोटा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ हेरिटेज, टूरिज्म, म्यूजियोलॉजी और आर्कियोलॉजी द्वारा आयोजित प्रथम औद्योगिक अकादमिक सम्मेलन-2025 का आयोजन मंगलवार को डीसीएम रोड स्थित एक होटल में किया गया। इसमें पर्यटन और आर्थिक विकास के अवसरों पर गहन चर्चा की गई।
सम्मेलन की निदेशक डॉ. अनुकृति शर्मा ने बताया कि कॉन्क्लेव का उद्घाटन राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हिमाचल प्रदेश धर्मशाला के प्रो. संदीप कुलश्रेष्ठ उपस्थित रहे। कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। पर्यटन उद्योग में उद्यमिता, नवाचार और रचनात्मकता, पर्यटन शिक्षा और स्थिरता तथा हाड़ौती क्षेत्र में पर्यटन उद्योग से जुड़े उभरते मुद्दों पर विशेषज्ञों द्वारा गहन मंथन किया गया।
कार्यक्रम में मॉडरेटर की भूमिका डॉ. नीलू चौहान, वी.के. जेटली, डॉ. अनिता सुखवाल, डॉ. आशीष आसोपा और प्रो. मनविंदर सिंह पाहवा ने निभाई। राज्यपाल बागड़े ने अपने संबोधन में पर्यटन को आर्थिक विकास का उत्प्रेरक बताते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में पर्यटन एक अभिन्न अंग के रूप में सदियों से विद्यमान रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में चारधाम यात्रा एवं अन्य धार्मिक यात्राओं की प्राचीन परंपरा रही है, जो लोगों को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से जोड़ती है।
पर्यटन से रोजगार और आर्थिक वृद्धि
राज्यपाल बागड़े ने कहा कि पर्यटन रोजगार और आर्थिक विकास से सीधा जुड़ा हुआ है। उन्होंने भारतीय स्थापत्य कला की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारतीय मंदिरों और ऐतिहासिक धरोहरों की नक्काशी और विशिष्ट कलाकृतियों के कारण वे आज वैश्विक पहचान बना चुके हैं। उन्होंने कहा कि सिंगापुर जैसे देशों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह पर्यटन पर निर्भर है। भारत में भी पर्यटन को इसी दृष्टि से विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोटा शहर चंबल नदी के किनारे स्थित होने के कारण प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व रखता है। कोटा में एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की अपार संभावनाएं हैं।
पर्यटन के साथ कौशल विकास भी अनिवार्य
राज्यपाल ने अपने संबोधन में कौशल विकास पर जोर देते हुए कहा कि लोगों के हाथों में कौशल होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि कौशल रोजगार और आजीविका की गारंटी देता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में पर्यटन और कौशल विकास साथ-साथ चलते हैं। यदि युवाओं को पर्यटन उद्योग से जोड़ते हुए उन्हें आवश्यक कौशल प्रदान किया जाए, तो इससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। उन्होंने होटल उद्योग, टूर गाइड, इको-टूरिज्म और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
अतिथि देवो भव: भारत की प्राचीन परंपरा
मुख्य वक्ता प्रो. संदीप कुलश्रेष्ठ ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति में “अतिथि देवो भव” की अवधारणा प्राचीन काल से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि भारत में हमेशा से ही लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण होता आया है, जिसका उल्लेख वेदों और रामायण-महाभारत में भी मिलता है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पर्यटन का नेतृत्व एशिया करेगा और भारत इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
पर्यटन, आर्थिक और सामाजिक विकास का साधन
कार्यक्रम की निदेशक प्रो. अनुकृति शर्मा ने पर्यटन की आर्थिक और सामाजिक भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हाड़ौती में पर्यटन के नए आयामों पर विचार-विमर्श करने और पर्यटन शिक्षा तथा पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की आर्थिक समृद्धि में पर्यटन एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। उन्होंने कहा कि यदि भारत में पर्यटन को नवाचार, डिजिटलाइजेशन और सतत विकास के साथ जोड़ा जाए, तो यह देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।
पैनलिस्टों ने दिए सुझाव
कोटा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ हेरिटेज, टूरिज्म, म्यूजियोलॉजी और आर्कियोलॉजी द्वारा आयोजित प्रथम औद्योगिक-अकादमिक सम्मेलन 2025 में पर्यटन उद्योग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। कार्यक्रम निदेशक डॉ. अनुकृति शर्मा ने बताया कि विशेषज्ञों ने “पर्यटन उद्योग में उद्यमिता, नवाचार और रचनात्मकता” विषय पर विचार साझा किए। तकनीकी सत्र में वी.के. जेटली ने “पर्यटन शिक्षा और स्थिरता” पर चर्चा की और पर्यटन विकास के लिए “चार D” मॉडल—डिजायर, डायरेक्शन, डेडिकेशन और डिसिप्लिन को महत्वपूर्ण बताया।
होटल फेडरेशन ऑफ राजस्थान कोटा डिवीजन के संभागीय अध्यक्ष अशोक माहेश्वरी ने हाड़ौती क्षेत्र को पर्यटन उत्पाद के रूप में विकसित करने पर जोर दिया। अर्थशास्त्री गोपाल सिंह ने टूरिज्म मैनेजमेंट कोर्स और गाइड प्रशिक्षण की आवश्यकता जताई। डॉ. आरती चौपड़ा, डॉ. मधु मुर्डिया, यशवर्धन राणावत, सुषमा आहूजा, सुरेश यादव और प्रो. डॉ. अरुण कुमार ने पर्यटन शिक्षा, तकनीकी उन्नयन और सांस्कृतिक जुड़ाव की महत्ता बताई।
राव माधो सिंह संग्रहालय ट्रस्ट के कार्यकारी ट्रस्टी एम.के. जयदेव सिंह ने टूरिस्ट हेल्प डेस्क, बेहतर साइनबोर्ड, मल्टी-लैंग्वेज गाइड सर्विस, कचरा प्रबंधन, जलस्रोतों का संरक्षण और इको-फ्रेंडली टूरिज्म को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।