नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस से हाहाकार है। अलग-अलग देशों में कोरोना वायरस पर रिसर्च चल रही है और इसकी वैक्सीन बनाने पर तेजी से काम किया जा रहा है। लेकिन कोरोना वायरस से जंग के बीच साइबर क्रिमिनल्स और हैकर्स भी तेजी से ऐक्टिव हो गए हैं।
अब एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप में सुपरकंप्यूटर्स को उस समय बंद करना पड़ा जबकि दूर बैठे हैकर्स ने एक मैलवेयर के जरिए माइनिंग क्रिप्टोकरेंगी के लिए कंप्यूटिंग पावर को हाइजैक करने का प्रयास किया। सुपरकंप्यूटर को हाइजैक करने के हैकर्स की कोशिशों के चलते कोविड-19 रिसर्च को भी रोकना पड़ा है।
ZDNet की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में सुपरकंप्यूटर्स और स्पेन में हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटर तो एक जैसे मैलवेयर के द्वारा हैक करने की कोशिश हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, कंप्यूटर्स में यह सेंध लगाने की कोशिश पिछले सप्ताह अलग-अलग समय में की गई।
कैडो सिक्यॉरिटी के को-फाउंडर और सिक्यॉरिटी रिसर्चर क्रिस डोमन ने ZDNet क बताया कि मैलवेयर को सुपरकंप्यूटर की पावर इस्तेमाल करने के हिसाब से डिजाइन किया गया था ताति Monero XMR क्रिप्टोकरेंसी में सेंध लगाई जा सके।
ZDNet की रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रीच के चलते कई सुपरकंप्यूटर्स को बंद करना पड़ा। इन सुपरकंप्यूटर्स को कोविड-19 पर रिसर्च करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा था। खासतौर पर रिसर्चर इन कंप्यूटर्स का इस्तेमाल प्रभावी वैक्सीन डिवेलप करने में कर रहे हैं।
खबर के मुताबिक, हैकर्स ने उन लोगों से SSH यूजरनेम पासवर्ड चुराकर कंप्यूटर्स का ऐक्सिस हासिल किया जो इन मशीनों को चलाने के लिए ऑथराइज्ड थे। ये क्रेडेन्शियल्स कनाडा, पोलैंड और चीन के लोगों के थे। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा पहली बार नहीं है कि क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग की कोशिस के लिए पहली बार सुपरकंप्यूटर्स में मैलवेयर लोड किया गया हो, बल्कि पहली बार हैकर्स ऐसा करने में कामयाब रहे। इससे पहले अपने निजी फायदे के लिए कई बार कर्मचारी ही मैलवेयर इंस्टॉल करते पकड़े गए थे।