नई दिल्ली। पहले से ही कई मुद्दों को लेकर जूझ रही केरल की काजू इंडस्ट्री कोरोनावायरस के कारण चल रहे लॉकडाउन के चलते तबाह होने की कगार पर पहुंच गई है। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तुरंत हस्तक्षेप करने और अमेरिका, जापान, मिडिल ईस्ट के देशों को निर्यात के लिए अनुमति देने की गुहार लगाई है।
काजू इंडस्ट्री प्रोटेक्शन काउंसिल (सीआईपीसी) की ओर से पीएम मोदी को भेजे गए पत्र में कहा है कि जापान को हर साल निर्यात किए जाने वाले 10 हजार मीट्रिक टन काजू में से 8000 मीट्रिक टन केरल से निर्यात किया जाता है। सीआईपीसी ने लिखा है कि निर्यात पर लगी पाबंदियों को हटाने के लिए तुरंत हस्तक्षेप की आवश्यकता है। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो हम अपना बाजार खो देंगे।
एक अन्य मुद्दा उठाते हुए सीआईपीसी ने कहा कि हम आईवरी कोस्ट और घाना जैसे अफ्रीकी देशों से कच्चे काजू का आयात करते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण यह आयात ठप पड़ा है। यदि हम आयात नहीं कर पाएंगे तो इंडस्ट्री का सफाया हो जाएगा, जबकि हमने खरीदारी के लिए निवेश कर दिया है।
एक साल तक कर्ज रोकने की सुविधा मिले
सीआईपीसी ने पत्र में लिखा है कि केरल का काजू उद्योग बीते चार सालों से मुंह ताक रहा है। यहां की अधिकांश कंपनियां कठिन दौर से गुजर रही हैं और बैंकों से रिकवरी नोटिस प्राप्त कर रही हैं। पत्र में कहा गया है कि जो कंपनियां आर्थिक रूप से खतरे के निशान पर पहुंच गई हैं उन्हें एक साल के लिए कर्ज रोकने की सुविधा प्रदान की जाएगी। यदि ऐसा नहीं होता है तो केरल की काजू इंडस्ट्री हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगी।
देश में काजू उत्पादन में केरल का पांचवां स्थान
देश में काजू उत्पादन में केरल का पांचवां स्थान है और यहां कुल उत्पादन का करीब 11.17 फीसदी काजू बनाया जाता है। आंकड़े बताते है कि यहां काजू उत्पादन अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है। 2009-10 में केरल में 35,820 मीट्रिक टन काजू का उत्पादन हुआ था जो 2018-19 में घटर 15,640 टन पर पहुंच गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि केरल की काजू इंडस्ट्री मुख्य रूप से विदेशों से आयात होने वाली गुठली पर निर्भर है, जिसके कारण यहां से मजदूर चले गए हैं। केरल सरकार ने सभी काजू मजदूरों के लिए मुफ्त राशन के अलावा 1000 रुपए प्रति माह की अस्थायी सहायता देने की घोषणा की है।