छप्पनभोग के दर्शनों के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़, उपनयन संस्कार पूर्णोत्सव संपन्न

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कोटा। पुष्टिमार्गीय शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ बड़े मथुराधीश मंदिर पर चल रहे दो दिवसीय उपनयन संस्कार वर्ष पूर्णोत्सव के दूसरे दिन मथुराधीश प्रभु के छप्पन भोग परिसर में भव्य दर्शन हुए। इस दौरान वैष्णव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। भक्त पंक्तिबद्ध होकर बारी बारी से सपरिवार दर्शन करते हुए प्रभु के जयकारे लगाती चल रहे थे। इससे पहले श्रीकृष्णास्य लालन बावा के उपनयन संस्कार को एक वर्ष पूर्ण होने पर बावा की चैक विराजकर विधि विधानपूर्वक जनेऊ वर्षगांठ की आरती की गई।

दोपहर मथुराधीश प्रभु को जुलूस के साथ धूमधाम से दशहरा मैदान होते हुए छप्पन भोग परिसर लाया गया। जहां प्रथमेश गार्डन में पुष्टिमार्गीय प्रतिभाओं को अलंकरण समारोह आयोजित हुआ। समारोह में शिक्षा के क्षैत्र में 23 छात्र छात्राओं को पुष्टिप्रज्ञा, पुष्टिमार्ग के प्रचार प्रसार में श्रेष्ठ योगदान देने वाले 8 वैष्णवजनों को पुष्टिपथिक, घरों पर ठाकुरजी की सेवा करने वाले 8 वैष्णवों को पुष्टिसार, न्यायिक एवं प्रशासनिक क्षैत्र में कार्य करने के लिए कोलकाता के बालकृष्ण मूंदड़ा को पुष्टि गौरव के अलंकार से अलंकृत किया गया। डीजे कोर्ट में प्राॅटोकाॅल ऑफिसर ऋषभकुमार जैन तथा समाजसेवी एकता धारीवाल को भी पुष्टि हितैषी से सम्मानित किया गया।

शाम को ठाकुर जी के छप्पनभोग के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। इस दौरान भगवान मथुराधीश की महाआरती में भक्तों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। इस अवसर पर शुद्ध देसी घी से निर्मित मठड़ी, बूंदी के लड्डू, मोहनथाल, सीरा, पाटिया, सेव के लड्डू, दलिए की खीर जैसे मिष्ठान्न और व्यंजन 970 कुंडों में रखे गए थे। वहीं विठ्ठलनाथ महाराज, मिलन गोस्वामी बावा और लालन कृष्णास्य बावा के द्वारा ठाकुर जी की आरती की गई। प्रभु के दर्शनों के लिए शाम को लोक कलाकारों के द्वारा राजस्थानी भवई, राजस्थानी बारात, गोरबंद की प्रस्तुति दी गई।

कलाकारों ने सागर पाी भरबा जाउं सा… मारू थारा देस में निपजे तीन रतन… सरीखे गीतों पर मनमोहक प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर मौजूद भक्तों की ओर से ठाकुर जी के जयकारों से आसमान को गूंजा दिया। पाण्डाल में शास्त्रीय संगीत की धुनों पर भजनों की प्रस्तुतियां दी जा रही थीं। छप्पन भेग परिसर के बाहर बैण्डबाजे की धुन भी मन मोह रही थी। समारोह में शामिल होने के लिए गुजरात, मध्यप्रदेश तथा मुम्बई से भी श्रद्धालु कोटा आए थे। इस दौरान गुजराती समाज कोटा तथा नन्दग्राम व्यापार संघ कोटा का भी योगदान रहा।