मुकेश भाटिया, कमोडिटी एक्सपर्ट
कोटा। राजस्थान व मध्य प्रदेश की मंडियों में चने का स्टॉक लगातार घटने से यहां की आवक अब सिमटने लगी है। दूसरी ओर आयात का कोई पडता नहीं है तथा अगले माह पुनः प्रारंभ होने जा रही शादियों के लिए मांग निकलने लगी है इन सब्जी परिस्थितियों को देखते हुए अभी देशी चने की कीमतों और बढ़ोत्तरी की उम्मीद बन गयी है।
चालू माह में देशी चने का व्यापार कुछ सुधार पर रहा क्योंकि सरकार जो काफी नीचे माल बेच रही थी, उसकी बिकवाली थोड़ी ठहर गयी तथा अब सरकार 4400 रुपए से कम में देशी चना नहीं बेचेगी। पिछले माह सरकार व वायदा दोनों ही मिलकर समर्थन मूल्य से 400/450 रुपए क्विंटल मंदे भाव में माल बेच दिये थे, जो अब वायदा 200 रुपए समर्थन मूल्य से नीचे दिखा रहा है। हालांकि पूर्व के मुक़ाबले अभी वायदा सुधरा है।
सरकार एक तरफ कृषि जिंशो का समर्थन मूल्य लगातार बढ़ाकर किसानों को लाभ दिलवाने का झांसा देती है। वहीं अपने स्टॉक के माल समर्थन मूल्य से नीचे बेच देती है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान में किसान ही रहते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि किसानों का माल सरकार सभी राज्यों व मंडियों से नहीं खरीद पाती है तथा वह माल जब सरकार मंदे भाव पर बेचने लगती है तो किसानों का भी माल मंदे में कट जाता है।
जैसे चने का समर्थन मूल्य 4620 रुपए है। जो वर्तमान में दिसम्बर का 4400 रुपए के आसपास वायदे में बिक रहा है। हम मानते हैं कि सरकार के पास भी ज्यादा स्टॉक नहीं है।
केवल सम्बंधित विभाग के मंत्रीगण की पिछले दिनों हुई घोषणा पर बाजार चलकर ठिठक जाता है।
दूसरी ओर बाजार वर्तमान में रुपए की भारी तंगी के दौर से गुजर रहा है, जो बाजार को टिकने नहीं दे रहा है। अन्यथा वर्तमान भाव के चने में भरपूर लाभ मिलना चाहिए। पिछले दिनों राजस्थानी माल नीचे में 4200 रुपए खड़ी मोटर में बिकने के बाद ऊपर में 4700 रुपए बिक गया था, जो वर्तमान में 4500 रुपए रह गया है।
देशी चने का स्टॉक 40 हजार बोरी
देशी चने का स्टॉक दिल्ली दाल-दलहन बाज़ार में मुश्किल से सभी दाल मिलों एवं ट्रेडर्स को मिलाकर 38-40 हजार बोरी से अधिक नहीं होगा, जबकि तीन साल पहले तक इन दिनों करीब 5 लाख बोरी का स्टॉक दिल्ली में व्यापारियों व मिलर्स को मिलाकर रहता था, जबकिं वर्तमान में विदेशों से कोई आयात पड़ता नहीं हैं। इन सभी परिस्थितियों लो देखते है चने की क़ीमतें नये सीजन से पूर्व अभी तेज ही रहने की उम्मीद है।