गुजरात दंगों में मोदी और उनके तीन मंत्रियों को क्लीन चिट

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अहमदाबाद। गुजरात में 2002 में गोधराकांड के बाद भड़के दंगों पर नानावटी जांच आयोग की रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा में पेश कर दी गई। गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने यह रिपोर्ट पेश करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘‘आयोग ने दंगों के समय मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी और उनके तीन मंत्रियों को क्लीन चिट दे दी है।

इससे यह साबित होता है कि उन पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। यह मोदी और भाजपा को बदनाम करने की कांग्रेस और कुछ गैरसरकारी संगठनों की चाल थी।’’ गोधराकांड में 59 कारसेवकों की मौत हुई थी। इसके बाद राज्य में भड़के दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।

गुजरात के मंत्री जाडेजा के मुताबिक दंगों से जुड़े प्रमुख सवालों और आरोपों पर जांच आयोग ने ये टिप्पणियां की हैं
क्या गोधराकांड के बाद साजिशन दंगे भड़काए गए?
आयोग : गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस का डिब्बा सोची-समझी साजिश के तहत जलाया गया था, लेकिन इसके बाद राज्य में भड़के दंगे पूर्व नियोजित या राजनीति से प्रेरित नहीं थे।

मोदी और उनके मंत्रियों की क्या संदिग्ध भूमिका रही?
आयोग : इन दंगों में मोदी या उनके तत्कालीन मंत्रियों अशोक भट्‌ट, भरत बारोट और हरेन पंड्या की कोई भूमिका नहीं थी।

तीन प्रमुख अफसरों की क्या भूमिका थी?
आयोग : दंगों में तीन अधिकारियों आरबी श्रीकुमार, संजीव भट्‌ट और राहुल शर्मा की नकारात्मक भूमिका के सबूत मिले हैं।

क्या मोदी सबूत नष्ट करने के मकसद से एस 6 कोच देखने गए थे? क्या वह उनका निजी दौरा था?
आयोग : गोधराकांड के बाद साबरमती एक्सप्रेस का जला हुआ एस 6 कोच एक यार्ड में रखा गया था। मोदी वहां आधिकारिक दौरे पर गए थे और उनका मकसद सबूत नष्ट करना नहीं था।

क्या मोदी ने दंगाइयों पर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था?
आयोग : मोदी ने सीएम हाउस में हालात का जायजा लेने के लिए बैठक बुलाई थी, लेकिन उसमें दंगाइयों पर कार्रवाई नहीं करने के निर्देश नहीं दिए थे।

जांच आयोग की रिपोर्ट दो हिस्सों में
नानावटी आयोग की रिपोर्ट का पहला हिस्सा 2009 में गुजरात विधानसभा में पेश किया गया था। यह रिपोर्ट साबरमती एक्सप्रेस में सवार 59 कारसेवकों की हत्या से जुड़ी थी। गोधरा में 27 फरवरी 2002 को भीड़ ने साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच में बाहर से आग लगा दी थी। इसी कोच में ये कारसेवक सवार थे।

रिटायर्ड जस्टिस जीटी नानावटी और जस्टिस अक्षय मेहता ने 2014 में आयाेग की जांच रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपा था। हालांकि, राज्य सरकार ने यह रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं की। इस साल सितंबर में राज्य सरकार ने एक जनहित याचिका के जवाब में गुजरात हाईकोर्ट को बताया था कि विधानसभा के अगले सत्र में यह रिपोर्ट सदन में पेश कर दी जाएगी।