पीएम मोदी के कार्यकाल में हुआ 82,575 करोड़ का रिकॉर्ड विदेशी निवेश

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नई दिल्ली। फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट के लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के लिए यह साल काफी अच्छा रहा है। इस साल देश में 82,575 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश हुआ है। उभरते हुए बाजारों में चीन के बाद भारत विदेशी निवेशकों का पसंदीदा स्थान बना हुआ है। इससे लगता है कि मोदी ने विदेशियों को भरोसा जीता है।

मई 2014 में मोदी कार्यकाल शुरू होने के बाद विदेशी निवेशकों ने इस साल भारत में सबसे ज्यादा धन लगाया है। विदेशी निवेश में सबसे बड़ी भूमिका योग्य संस्थागत प्लेसमेंट (QIP) और ऑफर फॉर सेल (OFS) की है। इसमें दो बड़ी बीमा कंपनियों का नाम सबसे ऊपर है। कॉर्पोरेट टैक्स की दरों में कटौती से भी विदेश निवेश बढ़ा है।

हांगकांग में विरोध प्रदर्शनों के चलते भी भारत में निवेश करने के प्रति निवेशकों का आकर्षण बढ़ा है। साल 2014 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 97,350 करोड़ रुपए का निवेश किया था। इसमें से 41,000 करोड़ रुपए जनवरी से मई के दौरान आया था। नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। साल 2015 से 2018 के बीच विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 57,656 करोड़ का निवेश किया।

डीएसपी म्यूचुअल फंड के वरिष्ठ फंड मैनेजर गोपल अग्रवाल ने कहा, QIP और FPO की मांग अच्छी है। कॉर्पोरेट टैक्स की दरों में कटौती हुई है, बढ़ा हुआ सरचार्ज भी वापस ले लिया गया है, रुपए का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर है। हांगकांग में मची उथल-पुथल ने विदेशी निवेश को भारत की तरफ खींचा है। इन सब बातों के अलावा, अगस्त में रिजर्व बैंक की तरफ से सरकार को रिकॉर्ड सरप्लस मिलने के चलते सरकार खर्च बढ़ा सकती है। कॉर्पोरेट टैक्स की दरों में कटौती से भी कंपनियों की कमाई बढ़ेगी।

टैक्स सरचार्ज वापस लिए जाने के बाद बढ़ा निवेश
जुलाई में बजट पेश होने के बाद से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय शेयर बाजार के प्रति सतर्क बने हुए थे। बजट में बढ़े टैक्स सरचार्ज को वापस लिए जाने के बाद से उन्होंने निवेश बढ़ाया है। 1 सितंबर के बाद से ये निवेशक भारत में 31,000 करोड़ रुपए के शेयर खरीद चुके हैं। 20 सितंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉर्पोरेट टैक्स की दर 35 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया। नई मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए टैक्स की दरें 25 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दी गई हैं। इससे कॉर्पोरेट कमाई में सुधार और नए निवेश की उम्मीदे बढ़ी हैं।

एफडीआई और एफपीआई में फर्क
फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) में कोई विदेशी कंपनी या व्यक्ति किसी दूसरे देश की किसी कंपनी के बिजनेस में निवेश करके उसमें अपनी हिस्सेदारी खरीदते हैं। फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट (FPI) सिर्फ और सिर्फ निवेश के इरादे से किया जाता है। इसमें निवेशक अपना पोर्टफोलियो तैयार करने के लिए अलग-अलग प्रोडक्ट्स में निवेश करता है। इसका उद्देश्य कंपनी के प्रबंधन में शामिल होना नहीं होता।