कोटा। शिक्षा की काशी कोटा में छात्राओं को मानसिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए निर्वाणा नेचुरोपैथी एंड रिसोर्ट लाइफ केयर एंड पीस सेंटर नासिक की मोंटिवेशनल यूथ स्पीकर व योग गुरू छोटी गुरु मां काजल टिप्स देकर मोटिवेट कर रही हैं। ताकि वे अपना जीवन अनुशासित तरीके से जीते हुए लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर हो सके।
वे एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में अध्ययनरत छात्राओं को प्रोजेक्ट वुमन सेफ्टी के तहत सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण दे रही हैं। शिविर में 13 हजार से अधिक छात्राएं लाभांवित होंगी। छोटी गुरू मां ने कहा कि महिलाएं काफी मजबूत होती है लेकिन, उन्हें अपनी मजबूती का एहसास दिलाना जरूरी है।
शारीरिक रूप से लड़कों की अपेक्षा कमजोर होती हैं लेकिन, मानसिक रूप से मजबूत होती है। यही वजह है कि वे किसी काम को आत्मविश्वास के साथ करती है तो सफलता जरूर मिलती है। महिलाओं को चाहिए कि वे अपने भीतर की शक्ति को बाहर निकालें और आत्मविश्वास पैदा कर अपनी सुरक्षा करें।
हमारे संस्कार हमारी मजबूती
गुरू मां ने कहा कि हमें हमारी संस्कृति और नैतिक मूल्यों को बचाना होगा। हमें और युवा पीढ़ी को यह समझना होगा कि पाश्चात्य और हमारी संस्कृति में अंतर है। कोटा में शिक्षा के साथ संस्कार दिए जा रहे हैं जो संस्कृति के बचाव की पहल है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को आदर देते हुए श्रेष्ठ माना गया है। आज हम पाश्चात्य प्रभाव के चलते नैतिक मूल्यों को खोते जा रहे हैं और हमारे संस्कार और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। अभिभावक और शिक्षकों को चाहिए कि विद्यार्थियों को ऐसे संस्कार दें कि नैतिक मूल्यों के साथ सशक्त भारत बनाने में योगदान दें।
व्यवस्थित लाइफ स्टाइल होना चाहिए
छात्राओं के लिए गुरू मां ने कहा कि एक विद्यार्थी की लाइफस्टाइल अनुशासित होनी चाहिए। क्योंकि कोटा शिक्षा का समुद्र है और एक विद्यार्थी को यहां सिर्फ तैरना ही होगा। इसलिए रोजाना समय से उठो, नियमित कक्षा जाओ और हर दो घंटे में जाॅगिंग जरूर करो। क्योंकि शरीर का एक्टिव होना बहुत जरूरी हैै ताकि विपरीत परिस्थितियों में आप मुकाबला कर सको।
हिमाचल की तर्ज पर राजस्थान में भी प्रयास
एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने बताया कि गुरू मां की संस्था को हिमाचल प्रदेश में हर स्कूल में प्रशिक्षण का कार्य दिया गया है। इनका लक्ष्य देश में हर महिला को जागरूक करना है। हिमाचल की तर्ज पर राजस्थान के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। यहां की सरकार से बात करके हर स्कूल की बालिकाओं के लिए यह प्रशिक्षण शुरू करवाने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही महाराष्ट्र में भी यह प्रयास किया जा रहा है।