नई दिल्ली। डायरेक्ट टैक्स कोड पर बने पैनल ने वित्त मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में पर्सनल इनकम टैक्स स्लैब को पुनर्गठित करने का सुझाव दिया है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स भरें। समिति ने सलाह दी है कि मौजूदा 5 फीसदी, 20 फीसदी और 30 फीसदी टैक्स स्लैब की बजाय 5 फीसदी, 10 फीसदी और 20 फीसदी के टैक्स ब्रैकेट रखे जाने चाहिए।
फिलहाल 2.5 लाख से 5 लाख रुपए तक की आय पर 5 फीसदी टैक्स, 5 लाख से 10 लाख रुपए तक की आय पर 20 फीसदी टैक्स और 10 लाख से ज्यादा आय पर 30 फीसदी देना होता है। समिति ने कहा कि टैक्स स्लैब रिवाइज करने से 2-3 साल के लिए रेवेन्यु में कमी हो सकती है, लेकिन इसके बाद टैक्स भरने में लोगों को आसानी होगी। साथ ही टैक्स की चोरी भी रुकेगी। इसके साथ ही एक मध्यस्थता पैनल का गठन करना भी जरूरी है, जिससे टैक्स अनुपालन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
डीडीटी को खत्म करने का सुझाव भी दिया
इसके अलावा समिति ने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) को खत्म करने का सुझाव दिया है। पैनल ने कहा कि कंपनियों से उस डिविडेंट इनकम पर टैक्स लेना चाहिए जिसका हिस्सा उन्होंने शेयरहोल्डर्स को नहीं दिया है। पैनल ने कहा कि डीडीटी के चलते कंपनियों को दोगुना टैक्स देना पड़ता है। अभी भारतीय कंपनियों को किसी वित्त वर्ष में घोषित या चुकाए गए कुल डिविडेंड पर 15 प्रतिशत का डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स देना पड़ता है।
इस पर 12 प्रतिशत का सरचार्ज और 3 प्रतिशत का एजुकेशन सेस भी लगता है। इसके अलावा पैनल ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG) और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) को बनाए रखने का भी सुझाव दिया। पैनल के मुताबिक, सभी कैपिटल गेंस को तीन कैटेगरी में रखना चाहिए- फाइनेंशियल इक्विटी, फाइनेंशियल अन्य और नॉन फाइनेंशियल।