नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापनों में शामिल होने के बावजूद सेलिब्रिटीज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। उनके खिलाफ अधिकतम एक साल किसी प्रचार में हिस्सा लेने की पाबंदी लगाई जा सकती है। संसद से पारित उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम की नियमावली बनाने के लिए बुलाई गई बैठक में केन्द्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा ‘भ्रामक प्रचार कराने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इसमें ब्रान्ड अम्बेसडर की भूमिका केवल लिखित मैटर के बोलने की होती है। इसलिए उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का कोई औचित्य नहीं है।’ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 में इस आशय का प्रावधान किया गया है। जबकि पहले जारी गाइडलाइन में भ्रामक प्रचार में शामिल लोकप्रिय हस्तियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई भारी जुर्माना और जेल की सजा तक का प्रावधान था।
उपभोक्ताओं को ठगने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाने की लगातार कोशिशें की जा रही है। इनमें लोगों के निशाने पर सेलिब्रिटीज रहते हैं। कई बार इनके खिलाफ कार्रवाई की बातें भी उठती रहीं लेकिन नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में उन्हें राहत मिल गई है।
नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में हेल्थकेयर सेक्टर में होने वाली धांधली पर बहुत प्रावधान नहीं किया गया है। मंत्री पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए बताया कि हेल्थकेयर सेक्टर के लिए पहले वाले कानून ही लागू रहेंगे।