जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट सिस्टम जानिए

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कोटा। जीएसटी लागू हो गया है लेकिन कई छोटे कारोबारी जिन्होंने अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है और जिनके पास प्रविजनल जीएसटीएन नंबर है, वो इनवॉयस से लेकर इनपुट टैक्स क्रेडिट को लेकर भारी भ्रम में हैं। सीनियर टैक्स कंसल्टेंट अनिल काला से जानिए अपनी दुविधाओं का हल…

अगर नहीं करवाया है जीएसटी का रजिस्ट्रेशन
वो व्यापारी जो जून तक किसी भी तरह के टैक्स दायरे के कानून में नहीं थे, उन्होंने अगर अभी तक अगर रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है तो वे 30 जुलाई तक करवा सकते हैं। एेसे व्यपारी (बी-2-बी) नॉर्मल तरीके से बिना जीएसटी चार्ज किए कस्टमर को इनवॉयस दे सकते हैं। लेकिन बी-2-सी में अभी स्पष्टता नहीं है। सरकार ने 25 तारीख से जो साइट शुरू की थी, उसमें जिसे प्रविजनल नंबर मिल गए हैं, वे जीएसटी चार्ज कर सकते हैं।

एेसे पता करें रेट
जो व्यापारी पहली बार इस नेट में गए हैं उन्हें यह खुद ही पता करना पड़ेगा कि उनके प्रॉडक्ट के जीएसटी रेट क्या हैं, अगर वे पता नहीं कर सकते तो वे अपने सप्लायर को पूछ सकते हैं कि उसका HSN कोड क्या है और ये प्राडॅक्ट कौन से रेट के दायरे में आ रहा है, क्योंकि उसका सप्लायर पहले ही एक्साइज में रजिस्टर होगा। इसलिए वह बता सकता है।

ऐसे इशू होगा इनवॉइस
समझें कि एक होलसेलर जीएसटी टैक्स भरकर अपने रिटेलर्स से उनके जीएसटीएन नंबर मांगेगा और बिल पर लिख कर उस इनवॉयस को अपलोड करेगा। इस होलसेलर को क्रेडिट रिटेलर से मिलेगा। होलसेलर की माल या सर्विस की जितनी भी सप्लाई है उसे उतनी इनवॉयस इशू करना होगा।

अब जीएसटीएन टिन नंबर की डिटेल जीएसटीआर- फॉर्म 1 में हर महीने की 10 तारीख तक अपलोड करना होगा। जैसे ही होलसेलर सेल्स की इनवॉयस अपलोड करेगा, रिटेलर को उसके पर्सेंज अकाउंट में दिखेगा और यह सरकार के सिस्टम में चला जाएगा। इस तरह रिटेलर के पास जीएसटीआर-2ए में क्रेडिट आ जाएगा।

रिटेलर के पास बदलाव का ऑप्शन
सप्लायर या होलसेलर ने जितना भी माल बेचा है, उसे अगर कम अपलोड किया है तो खरीदार या दुकानदार के पास ऑप्शन है कि वह जीएसटीआर-2ए में जोड़ (बदलाव) कर सकता हैो यह बदलाव वह 15 तारीख तक कर सकता है। होलसेलर के पास ऑप्शन है कि वह इस बदलाव को स्वीकार करे या अस्वीकार।

अगर स्वीकार करता है तो क्रेडिट रिटेलर को मिल जाएगा और होलसेलर अस्वीकार करता है तो जितने आइटम मैच होंगे, उतना क्रेडिट मिल जाएगा। हर महीने की 18 तारीख को हर डीलर(खरीदार हो या खुदरा दुकानदार) सरकार की साइट पर खरीद और बिक्री देख सकता है। लेकिन सिर्फ अपनी लाइबलिटी ही देख सकता है। अब पर्चेज और सेल्स का डिफरेंस 20 तारीख तक पैमेंट करना होगा एवं रिटर्न भरने के लिए जीएसटीआर-3 फॉर्म अपलोड करना होगा।

एेसे मिलेगा क्रेडिट
उदाहरण के लिए अगर होलसेलर ने एक लाख रुपये का सामान बेच कर(18 पर्सेंट के हिसाब से) 18,000 रुपये टैक्स भरा। अब अगर उसके मैन्यूफैक्चरर ने 90,000 रुपये के सामान पर 16,200 रुपये(18 पर्सेंट के हिसाब से) टैक्स भरा। तो एेसे में होलसेलर को 18,000-16,200= 1800 रुपये ही टैक्स देना होगा और 16000 रुपये उसको इनपुट क्रेडिट के रूप में मिल जाएगा।

वहीं, मैन्यूफैक्चरर अपना क्रेडिट रॉ मटिरियल वाले से लेगा। अब रिटेलर वही सामान 1,10,000 रुपये का 18 पर्सेंट जीएसटी के आधार पर बेचेगा तो 19,800 रुपये का टैक्स भरेगा और उसमें से 18000 रुपये(इनपुट क्रेडिट) घटाकर 1800 रुपये का टैक्स भरेगा, जो कि कस्टमर से लेगा। उसे मार्जिन पर टैक्स देना है। असल में जीएसटी वैल्यू एडिशन पर है।

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