नई दिल्ली। भारतीय उद्योग जगत ने सरकार से व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा को 2.50 लाख रुपए से बढ़ाकर पांच लाख रुपए करने की अपील की है। उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के बाद अब एसोचैम ने भी सरकार ने वर्ष 2019-20 के पूर्ण बजट में यह प्रावधान करने की अपील की है। सीआईआई ने भी बजट पूर्व अपने ज्ञापन में सरकार को व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपए करने का सुझाव दिया है।
5 जुलाई को पेश होगा पूर्ण बजट
नई मोदी सरकार 05 जुलाई को वर्ष 2019-20 के लिए पूर्ण बजट पेश करने की तैयारी कर रही है। इस बीच एसोचैम ने वित्त मंत्रालय को सौंपे अपने ज्ञापन में कहा है कि महंगाई के दबाव के मद्देनजर सरकार को व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपए करनी चाहिए।
संगठन ने वेतनभोगी और अन्य करदाताओं के बीच एकरूपता लाने का सुझाव देते हुए कहा कि इससे सभी करदाताओं को मानक छूट का लाभ मिल सकेगा। वेतनभोगी कर्मचारियों और कारोबार या पेशवर गतिविधियों में लगे लोगों के बीच कर को लेकर असमानता है जिसके कारण वेतनभागियों को अधिक कर चुकाना पड़ता है।
मानक छूट को बढ़ाकर एक लाख किया जाए
एसोचैम ने मानक छूट को भी बढ़ाकर एक लाख रुपए करने की अपील करते हुए कहा कि सकल वेतन का करीब 20 प्रतिशत मानक छूट होनी चाहिए। चालीस हजार रुपए की मानक छूट से वेतनभोगियों को कोई विशेष राहत नहीं मिल रही है। इसलिए इसमें बढ़ोतरी किए जाने की आवश्यकता है। उसने कहा कि वित्त अधिनियम 2018 में एक प्रतिशत अतिरिक्त उपकर लगाए जाने से अधिकांश वेतनभोगियों के लिए इस मानक छूट का कोई मायने नहीं रह गया है।
व्यय के लिए छोड़ी जाए अधिक आय
करदाताओं को व्यय के लिए अधिक आय छोड़ने का सुझाव देते हुए एसोचैम ने कहा कि उन्हें चिकित्सा व्यय, अवकाश यात्रा व्यय जैसे मद में अधिक राहत दी जानी चाहिए। उसने कहा कि अभी अवकाश यात्रा व्यय या भत्ता अभी सिर्फ यात्रा तक सीमित है और इसमें रहने या खाने-पीने के व्यय को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन यात्रा करने पर रहने और खाने-पीने पर अधिक व्यय होता है। इसके मद्देजनर इसमें इन सभी को शामिल किया जाना चाहिये।
धारा 80 सी के तहत बढ़े छूट की सीमा
एसोचैम ने लोगों में बचत को बढ़ावा देने के लिए आयकर कानून की धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट की सीमा को 1.50 लाख रुपए से बढ़ाकर तीन लाख रुपए करने की सिफारिश की है। उसने कहा कि बच्चों की शिक्षा के लिए मिलने वाली छूट को भी अधिकतम दो बच्चों के लिए प्रत्येक बच्चे के वास्ते एक हजार रुपए मासिक या जो वास्तविक व्यय हो या इसमें से जो कम हो की छूट दी जानी चाहिए।