कोच्चि। केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि बैंक अपने कस्टमर्स के अकाउंट्स से बिना उनकी अनुमति के रकम निकलने पर जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। जस्टिस पी बी सुरेश कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कस्टमर SMS अलर्ट का जवाब नहीं देते तो भी बैंक अनधिकृत तौर पर रकम निकलने के लिए जिम्मेदार हैं।
उनका कहना था कि एक कस्टमर की जिम्मेदारी तय करने के लिए SMS अलर्ट आधार नहीं हो सकता। ऐसे अकाउंट होल्डर्स भी हो सकते हैं, जिन्हें नियमित तौर पर SMS अलर्ट देखने की आदत नहीं होती।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने केरल हाई कोर्ट में एक निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील की थी। इस आदेश में अनधिकृत तौर पर रकम निकाले जाने के कारण एक कस्टमर को हुए 2.4 लाख रुपये के नुकसान की भरपाई करने के लिए कहा गया था। कस्टमर ने इस रकम को ब्याज के साथ लौटाने की मांग की थी।
बैंक का कहना था कि कस्टमर को विवादित विदड्रॉल से जुड़े SMS अलर्ट भेजे गए थे और उन्हें अपना अकाउंट तुरंत ब्लॉक करने के लिए निवेदन देना चाहिए था। बैंक की दलील थी कि कस्टमर ने SMS अलर्ट का जवाब नहीं दिया था और इस वजह से बैंक उन्हें हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं है।
लेकिन कोर्ट ने कहा, ‘कस्टमर के हितों की रक्षा के लिए सावधानी बरतना बैंक का फर्ज है। कस्टमर्स के अकाउंट्स से बिना अनुमति के रकम निकालने को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की जिम्मेदारी बैंक की है।’ कोर्ट का यह भी कहना था कि कस्टमर्स को नुकसान पहुंचाने वाली सभी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए सिस्टम को सुरक्षित बनाना बैंक का दायित्व है।
अनऑथराइज्ड ट्रांजैक्शंस की जानकारी बैंक को देने और एकाउंट को ब्लॉक करने से जुड़े रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के एक सर्कुलर का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह केवल बैंकों को उनकी जवाबदेही और जिम्मेदारी की याद कराता है और इससे कोई नए अधिकार या दायित्व नहीं बनते। कोर्ट ने कहा कि अगर कस्टमर को धोखेबाजों की ओर से की गई ट्रांजैक्शंस से नुकसान होता है तो इसके लिए बैंक जिम्मेदार है क्योंकि उसने इसे रोकने का सिस्टम नहीं बनाया है।